तुम्हारे गले लगकर
तुम्हारे गले लगकर, मैंने जाना कि ख़ुशी, सुकून, प्रेम और इंतज़ार को किस तरह जिया जाता है! तुम्हारे हाथों में अपने हाथों को छोड़कर, मैं जान पाया कि तरंगों का जीवन क्या होता है! तुम्हारे होंठो को अपने होंठो से छूकर, मैं समझ पाया कि हमने कितनी बातें नहीं की इतने वर्षों में! तुम्हारा साथ होना ही मेरे लिए मोक्ष है, फिर उसमें दूरियाँ हो या नजदीकियाँ मुझे कोई अंतर दिखाई नहीं देता, शायद इसे ही ब्रह्माण्ड ने प्रेम कहा है. - कमलेश