संदेश

जुलाई, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

प्रकृति का वादा - तुम

चित्र
प्रकृति के मूल सिद्धांतों में जुड़ाव निहित है, इसके वचनों से हर कोई भीगा हुआ है वह भी जिन्हें वादों से दूर रहना भाता है। ज़िन्दगी के लम्हों को गुज़ारते हुए एक दिन ऐसे ही प्रकृति का कोई नियम अपने चेहरे पर से पर्दा हटा सामने आ जाता है और फिर उसकी ख़ुमारी से निकलने का वक़्त ही नहीं रहता इंसान के पास। मैंने जब पहली बार तुम्हें देखा था तो मुझे महसूस हुआ कि कोई अनकहा वादा लौट आया है मुझ तक जिसे पूरा करना जीवन के निश्चित मकसदों में से एक है। तुम्हारे साथ ऐसा लगता है कि प्रकृति के साथ मेरा रिश्ता गूढ़ होता चला जा रहा है। प्रेम की परिभाषा के परे मैं महसूसना चाहता हूँ वे सारे क्षण जिनमें लिखी गईं हैं कुछ खामोशियाँ और अनगिनत एहसास। जीवन के जिस अंदाज़ से तुमने मेरा परिचय करवाया है उसे अकेले देख पाना संभव तो है किंतु सहज नहीं। वक़्त की डोर को थामे हुए अब लगने लगा है कि साधन नहीं साध्य महत्त्वपूर्ण है; मेरे जीवन के अघटित पहलुओं को तुम्हारे प्रेम से मायने मिलने की आस है और ख़ुशी भी। मुलाक़ातों के बोझ से दूर मैं चाहता हूँ कि हृदय के रास्ते हम एक-दूजे की खोज ख़बर रख पाएँ। तुमसे मिल जाना इस तरह जीवन के

सवाल किस बात का है?

चित्र
सैंकड़ों जलती चिताएँ अनगिनत भटकते लोग, पैदल घर लौटती एक दुनिया प्यास-भूख से थमती साँसे, आँसुओं की अविरल धारा छोड़ गए साथियों का ग़म। कितना कुछ है यहाँ जिसे देखने के लिए आँखें नहीं करुणा की ज़रूरत है। वे पूछते हैं तुम किस पाली में हो? मैं ख़ुद से करता हूँ सवाल कि क्या अब भी देखा जाए एक ख़्वाब जिसमें धर्म की लकीरें न हों पैसों से पनपती खाई न हो घर लौटने वालो के लिए आराम हो अकेली लड़की के मन में खौफ़ न हो स्त्री के सिर पर तमाम बोझ न रखा हो बच्चों के खेलने का खुला मैदान हो मान-सम्मान के परे लोग मिलते हों बचपन से लाई गई हंसी हो युवाओं की ज़ुबाँ पर सवाल हो हुक्मरानों की नीति नहीं नियत साफ़ हो बगल में आग लगने पर  अपने घर में चादर ओढ़कर सोने वाले न हों! मैं चाहता हूँ कि  यह न पूछा जाए कि कौन किस पाली में बैठा है बल्कि सवाल चाहत का रहे; जैसे एक प्रेमी-युगल चाहे साथ बैठकर बातें करना ढलते सूरज को सुकूँ से देखना एक-दूजे के होंठो का चुम्बन भीड़ के डर से परे एक आलिंगन जिहाद से परे चाँदनी की एक सैर पहचान से बहुत दूर पनपती प्रेम और सिर्फ प्रेम की एक दुनिया।                                         - कम