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माँ तुम बहुत याद आती हो

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 Source-Desi Painters मेरा चेहरा हर वक्त अपनी आँखो में लेकर मेरा किस्सा हर वक्त अपनी जुबान पर लेकर मेरे बारे में ही हर किसी को बताती हो माँ तुम बहुत याद आती हो माँ तुम बहुत याद आती हो। हर वक्त हाथो में लेकर मुझको प्यार किया मेरी खुशियों पर तुमने जीवन अपना वार दिया हर मुश्किल में समझाकर हौसला मेरा बढाती हो माँ तुम बहुत याद आती हो। जब स्कूल ना जाने की जिद मैं किया करता था तब तुम्हारा दुलार पापा से बचाया करता था बिन कहे हमेशा मेरी ख्वाहिशें जान जाती हो माँ तुम बहुत याद आती हो। इतनी उम्र जी चुका हूँ दुनिया जाने क्या समझती है अपने मतलब के लिए यह जिंदगी छिन लेती है इन्ही राहों की मुश्किलों में तुम नजर आती हो माँ तुम बहुत याद आती हो। ना कह सकता मैं किसी से ना ही किसे बतलाता हूँ अपने हर जनम में माँ तेरा बेटा होना चाहता हूँ भगवान् को भी याद करूँ तो तुम ही नजर आती हो माँ तुम बहुत याद आती हो। तेरा प्यार और कर्ज कोई चुका ना पाएगा स्वयं ईश्वर भी तेरी ममता ना बयान कर पाएगा शायद इसीलिए उसके रूप में तुम दुनिया में आती हो माँ तुम बहुत याद आती हो। माँ तुम बहुत याद आती

शेर - ओ'- शायरी

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Source - WallpaperBrowse * अपनी नजदीकियों का सोमरस घोल दे मुझमें,    के अब दूरियों का हलाहल पिया नहीं जाता | * बनाकर चश्मे के लेन्स को दिवार घूमता हूँ,    डर है लोग आँखों में तेरी सूरत न देख ले | * उन हजारो ख्वाहिशों का गुनेहगार हूँ मैं,    जिनका क़त्ल तेरी गैरमौजूदगी में किया है | *. जिंदगी में रोशनी के लिए उजाले की ज़रुरत नही,    अपने प्रेम का दिया जला दो इतना ही काफी है | * दर्द बढाने की चाहत है मेरी,    इस उम्मीद में की दर्द कम हो जाये | * बातो से बातो की बात करते हुए,    कुछ बातचीत अधूरी रहे तो अच्छा है | * जो मेरी राहो में कांटे बिछाने का शौक रखते है,    दुआ करता हूँ उनकी राहो में फूलो की बारिश हो | * एहसास होने लगा है मुझको एक नया,    के तू मेरी याद में पलकें भिगोने लगी है | * तुम पर चार मिसरें लिखना थी मुझे,    ये ग़ालिब की नज़्म पड़कर याद आया |                                     .....कमलेश.....

व्यथा

हर बीती बात अब पराई लगती है, ऐ जिंदगी अब मुझे धूप लगती है । उड़कर आते थे कभी खुशी से घर, अपने घर में तो अब घुटन लगती है । चाहा के ना लिखूं किसी के दर्द को पर, हर तकलीफ अब मुझे अपनी लगती है । ये जो घूमते है कंधो पर अपने बेटे लेकर, कहदो मुझको तो अब बेटियाँ अच्छी लगती है । भले ही लगाये वो काजल आँखो में अ पनी , मु झे तो बिन श्रं गार के ही अब अच्छी लग ती है ।                                                                                       .....कमलेश.....

कुछ मेरा भी वक्त ज़ाया किया करो ।

कुछ मेरा भी वक्त ज़ाया किया करो, कभी हमे भी फोन लगा लिया करो । रोज़ इसी राह से  काॅलेज जाते हो, कभी तो देखकर मुस्कुरा दिया करो । दर्द होने लगेगा   तुम्हारे  पैरों में, इतना भी बस का इंतजार ना किया करो । अपनी खूबसूरती यूँ छुपाया नही करते, खुली रख के सुरत हमें भी दिखाया करो । बोर हो जाओगे किताबो को पढ़कर तुम, कभी हमारे दिल को भी पढ़ लिया करो ।                                      ..... कमलेश .....

घर लौटकर आना नही चाहता ।

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Source - Bindaas Attitude  सोच रहा हूँ इस दफा कुछ कपड़े और खरीद लूँ, गाँव की हर एक गली घूमकर आँखो में समेट लूँ, जानने वाले हर शख्स से एक बार फिर मुलाकात करूँ, घर की दीवार में लगी तस्वीर को अपने साथ ले चलूँ, दिल आज के बाद घर लौटकर आना नही चाहता । कुछ लतीफे जो अधूरे है बच्चों को सुनाकर पूरे कर दूँ, कुछ रिश्ते जो रुठे है मनाकर प्यार से गले लगा लूँ, रोज़ की राहों को छोड़कर नयी मंजिलें तलाश करूँ, ख्वाहिशों को अधूरा रख के घर लौटकर आना नही चाहता । अपने सपनो में प्राण फूंक नये रास्तों को अपना लूँ, मेरी तकदीर मेरे साथ रहे ऐसा कोई अफ़साना बना लूँ, इस घर, परिवार, और गली से आज से अजनबी हो जाऊं, जिंदगी का सूकून गंवाकर घर लौटकर आना नही चाहता ।                             .....कमलेश.....

ओढ़कर बैठा हूँ

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Source - Mobile9 ओढ़कर बैठा हूँ मैं एक ख़ामोशी की चादर को इस बार ख्यालो में आओ तो चुप्पी तोड़ चले जाना कडवी लगती है वो फ्रीज़ में रक्खी मीठी लस्सी भी बेस्वाद हो गया है नाश्ता और मेरा फेवरेट खाना नहीं जंचती मुझे कोई भी धुन आजकल के गानों की इस बार यादो में आओ तो कोई नयी सी धुन सुना जाना | ओढ़कर बैठा हूँ ........   सूरज से दुश्मनी कर बैठा हूँ एक बात के पीछे मैं के इस बार चाँद की चांदनी से इश्क़ लड़ाना है मुझे पशोपेश में है मेरी सारी ख्वाहिशें अबतलक ऐसे की पूर्णमासी की रात   तुझे छत पर  बुलाऊंगा  कैसे  घुमने लगा हूँ हर रास्ते पर अजनबियों के  तरहा हर कोई मुझको सनकी कहने लग गया है रातों को जागते हुए और चाँद को देखते देखते थक गया हूँ ख्वाहिशों की आग में जलते हुए मैं इस बार मिलने आओ तो सारी थकान मिटा जाना | ओढ़कर बैठा हूँ .........   ग़ज़लें कविता लिखना भी अब कभी कभार होता है तुमसे बात किये बगैर शायद मैं कुछ ल

मेरा इश्क

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 Source - Google काली घटाओं सी तेरी जुल्फें जब हवा के संग लहराती है , ऐसा लगता है मानो के कुछ पल में बारिश होने वाली है | तेरी आँखे लगती है झील सी जहां आशिक़ी के ख्वाब तेर रहे हैं, मुस्कान अधरों पर ऐसे छाती है जैसे सूर्योदय के वक़्त की लालिमा | झुका लेती हो गर्दन जब शरमा के प्रेम के दिए जल उठते हैं , बाहें फैलाकर करती हो आलिंगन जब मेरा हर अंग तुझमें बिखर जाता है | सोचता हूँ कर के कैद उस पल को हासिल कर लूं तेरी बेशुमार मोहब्बत | तेरे कदम इस तरह चलते हैं जैसे उर्वर्शी धरा पर आई हो , पदचिन्ह तुम्हारे जब देखता हूँ लगता है लक्ष्मी वसुधा पर आई है | समेट कर के तेरी इस काया को नाम दे दिया है मोहब्बत मैंने , ठहरी है निगाहें और धड़कन खुद को तेरे नाम कर दिया मैंने |                                 .....कमलेश . ....