1. हिंदी - वर्तमान समय में मातृभाषा हिंदी के हालात को देखते हुए, ऐसा लगता है कि हमारी भाषा को अब एक अदरक वाली, कड़क चाय की ज़रूरत है । 2. तीन, दो, पाँच - पिछले कुछ समय से, ऐसा लगता है कि ज़माना और मैं, तीन, दो, पाँच खेल रहे हैं । हर बार मैं अपना सेट पूरा करता हूँ, फिर भी कुछ ना कुछ उधारी, ज़माने की बाकी रह ही जाती है । 3. गुनाह - गुनहगार वे लोग नहीं है जो किसी को धोखा देते हैं, उन्हें पिला दी गई होगी, सिर्फ एक बेस्वाद चाय । 4. तुम - कुछ दिन दूरी पर रह जाने से तेरे, हो गया है फिर इश्क मुझे, लेकिन इस बार चाय से । परिभाषा लेकिन अब भी वही है इश्क की ''तुम''। 5. दुनिया - सोने के बाद जागने से पहले दुनिया मेरी, तुम होती हो केवल । अकस्मात मधुर स्वर तुम्हारे प्रेम का भेद कर मेरे स्वप्न को, खींच लेता है फिर से हकीकत में, अकिंचन होकर भी जहाँ तृप्त हो जाता हूँ मैं । .....कमलेश.....