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कृष्ण

तुम्हारे हँसने पर गर' तुम्हारी खिलखिलाहट में गूँजे वंशी, तो दुनिया से कह दूँ कि कृष्ण इंतज़ार में है तुम्हारे। रुक जाने पर तुम्हारे बैरागी हो जाएँ जो ये हवाएँ, तुम जान जाओगी ...

तुम

तुम, इसके सिवा कोई शब्द क्यों नहीं है दुनिया में कि जिसके उपयोग से तुम्हारे संबोधन को चरितार्थ करूँ मैं! तुम्हारा अस्तित्व उस नीम के पेड़ सा है जिसे मैं अपनी सेहत, सीरत और आरा...