ज़िन्दगी और प्रेम की जोड़ी
जब ज़िन्दगी की शुरुआत होती है, तब हमारे पास अपने रिश्ते चुनने का कोई विकल्प नहीं होता, लेकिन ज़िन्दगी के रफ़्तार पकड़ने के बाद भी शायद हमारे पास वह विकल्प नहीं होता. अटपटा लग सकता है सुनने में लेकिन हकीक़त यही है कि हम कोई भी रिश्ता नहीं चुनते अपनी ज़िन्दगी में, रिश्ते हमको चुनते हैं उनको जीने के लिए. भावनाओं का समंदर कितना गहरा है कोई नहीं जानता फिर भी सब डुबकियाँ लगाते हैं, हम नहीं जानते कि हमारी एक मुस्कान या एक शब्द किसी के जीवन में क्या बदलाव ला सकता है. ज़िन्दगी ने मुझे बहुत कुछ सिखाया है यह तो मैं नहीं कह सकता लेकिन जितना कुछ इसके साथ रहकर सीखा है वह बहुत कमाल का है. रास्ते अपनी पहचान हमसे तब तक छुपाते हैं जब तक हम समर्पण न कर दें और समर्पण का पौधा विश्वास के बीज के बिना कभी भी नहीं उग सकता. विश्वास और समर्पण जब एक-दूजे में समाते हैं तब प्रेम पैदा होता है और प्रेम अपने कई स...