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दिसंबर, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मेरे गुलशन का नायाब गुलाब तुम हो

मेरे गुलशन का इक नायाब गुलाब तुम हो, देखता ही रहूँ जिसको वो ख्वाब तुम हो । गुज़रता है वक़्त तो इसे गुज़रने दिया जाए, जहाँ मैं ठहर जाऊं इसमें वो मुकाम तुम हो । अंधेरे से भरी उन त...

अंतर और रिश्ते

रिश्तों का कोई नाम नहीं होता ना ही कोई नागरिकता भी ये वैसे ही काम करते हैं, जैसे कि साइबेरिया के पंछी चले आते हैं हिंदुस्तान बिना कोई वीज़ा लिए । कुछ कमजोरियों औ' ताकत के दरम...

फूल

माना कि इस देश में कीचड़ है, और कीचड़ में कमल खिलता है, लेकिन एक सीमित अवधि तक; कमल के सिरे ने अब फड़फड़ाना शुरू किया है उसे आभास हो चला है कि जड़ें सड़ांध मारने लगी है, लेकिन मृत्...

अच्छा लगता है मुझे

तेरा मुस्कुराना मेरी बातों पे, नज़रें फेर लेना मेरे इशारों पे, झुका लेना गर्दन मेरे सवालों पे, अच्छा लगता है मुझे । तेरा खामोश हो जाना फ़ोन पर, मायूस हो जाना बिछड़ने पर, शरमा जान...