अंतर और रिश्ते

रिश्तों का कोई नाम नहीं होता
ना ही कोई नागरिकता भी
ये वैसे ही काम करते हैं,
जैसे कि साइबेरिया के पंछी
चले आते हैं हिंदुस्तान
बिना कोई वीज़ा लिए ।

कुछ कमजोरियों औ'
ताकत के दरमियान भी
होता है एक रिश्ता
जो चाह रखता है
कि ताकत प्यार से थपथपाए
कमजोरियों की पीठ,
ताकि बना रहे ठहराव
बीज और उपज के बीच ।

मायने ठहराव के
केवल
कमजोरियों को समझ आते हैं,
ताकत तो उसका प्रतिबिंब है
जो संचालित करने का
जिम्मा सौंप देती है कमजोरी को,
उनके अंतर का रिश्ता ।

अगर नहीं ही उपजे
कोई भी चाह
किसी भी तरह के
रिश्ते के दरमियान,
ना ही उम्मीद रहे
किसी ठहराव के होने की,
तब शायद सफ़र हो शुरू
रिश्तों में
इच्छाओं से अपेक्षाहीनता की ओर ;
फिर
नागरिकता, रिश्ते, वीज़ा
और साइबेरिया के पंछियों में
अंतर स्वतः समाप्त हो जाएगा ।
                                  .....कमलेश.....

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