सावन
बारिश अपने शबाब पर है  बादलों ने कपड़े उतार फेंके हैं,  नदियों ने अपनी हदें पार कर  किनारे पर बसे कुछ गांवों की,  इज्ज़त पर हाथ मारना शुरू कर दिया है ।  मैं बेबस हूं उस गांव सा  जिसक...
जिंदगी की राहों से गुज़रते हुए अपने कुछ अनुभव साथ लिए चल रहा हूँ, यहाँ मेरे अन्तर्मन से उपजे प्रेम, समाज, जिंदगी, देश आदि के बारे में विचारों को आप पाएंगे ।
