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सावन

बारिश अपने शबाब पर है बादलों ने कपड़े उतार फेंके हैं, नदियों ने अपनी हदें पार कर किनारे पर बसे कुछ गांवों की, इज्ज़त पर हाथ मारना शुरू कर दिया है । मैं बेबस हूं उस गांव सा जिसक...

मुस्कुराहट और तुम

मुस्कुराहटों का मोल नहीं लगाया जा सकता, जब तक यह हमारे होंठो पर रहती है मन तृप्त रहता है । मुस्कान ज़िंदगी में बेवजह ही रहे तो अच्छा है जैसे कि तुम्हारे होंठो पर होती है मानो ...

हरिद्वार यात्रा

कविता -१ दुनिया से अनभिज्ञ होना मानव काल का सबसे बड़ा झूठ है, तुम मेरे लिए कभी भी अजनबी तो थी ही नहीं, मैंने जाना नदी में खड़े होकर समन्दर की आत्मीयता को, जैसे तुम जान लेती हो हो...

राहें, प्रेम और मैं

कुछ रास्ते आपको कभी मंज़िल तक नहीं ले जा पाते, ऐसे रास्ते सिर्फ भटकने के लिए बने होते हैं । जब ज़िंदगी का स्वाद थोड़ा भी ऊपर नीचे लगने लगे तो उसमें प्रेम का तड़का मारना आवश्य...

समय

कभी कभी मैं सोचता हूं कि ये दुनिया हमेशा से गोल नहीं थी, इंसान ने अपनी ज़रूरत से इसे गोल किया । वक़्त की जेल में बंद इंसान भविष्य की पूंछ पकड़े, अतीत की बेड़ियों में जकड़े, वर्...

आम

चित्र
Source - Exotic Flora खेत की मेड़ पर लगा है बूढ़े आम का एक पेड़, डाली पे मोड़¹ आने पर जिसकी मैं इंतज़ार करना शुरु करता था कच्ची केरियों के आ जाने का । जेठ में दादाजी सुनाते थे बड़े चाव से हाग² पाड़ने के किस्से, मैं तोड़ लाता था केवल दो हाग मेरे और दादाजी के लिए, जिसका स्वाद अब नहीं आता कार्बन से पके आम में । जब से दादाजी गए हैं मैंने नहीं सुना कोई भी किस्सा हाग का, शहर की सड़कें इतनी तंग हैं कि आम ढूंढने पर भी नहीं मिलता, मिल भी जाए अगर कहीं तो उस पर मोड़ नहीं दिखता होली पे । परसों देखा था बगीचे में एक पेड़ बाहर लेकिन एक तख्ती टंगी थी, "यहां से फल तोड़ना मना है" ।                                     - कमलेश नोट -- मोड़ - होली के आसपास आम पे आने वाले फूल ।। हाग - पेड़ पर ही पका हुआ आम ।।