मुस्कुराहट और तुम

मुस्कुराहटों का मोल नहीं लगाया जा सकता, जब तक यह हमारे होंठो पर रहती है मन तृप्त रहता है । मुस्कान ज़िंदगी में बेवजह ही रहे तो अच्छा है जैसे कि तुम्हारे होंठो पर होती है मानो विष्णु भगवान ने तुम्हें वरदान में दी हुई है, और उसे देख मेरा मन तृप्त रहता है । खुशियों की वजह खोजना बेवकूफी है, जब तक कारण नहीं पता हम खुश हैं लेकिन जब यह गायब होती है तो दुनिया इसे ढूंढने की फिराक में फिर से ग़म की चादर ओढ़ लिया करती है । तुम्हारे साथ घूमते हुए मुझे कभी कोई कारण महसूस नहीं होता, उस दिन, शाम तक मेट्रो में सफ़र करके जब तुम्हें सीढ़ियों से उतरते देख रहा था तब मेरा मन किया था कि तुम्हारे साथ चलने के लिए उतर जाऊं लेकिन तब तक मेट्रो वाली आंटी "प्लीज स्टैंड अवे फ्रॉम दी डोर" कहकर दरवाज़े बंद हो चुकने की पुष्टि कर रही थी । जब एक दरवाज़ा बंद होता है दूसरा खुल ही जाता है, अगर मेरी ज़िन्दगी में आने के बाद तुम्हें लगे कि जिस रास्ते से तुम  आयी थी वह गायब हो गया है तब मैं तुम्हारे लिए जाने वाला द्वार खोल दूंगा, जब तुम मेरी ज़िन्दगी से जाओ तो किसी चुनावी घोषणा के जैसे गुज़र जाना और जब जाओगी तो मैं तुम्हारे साथ एक बार फिर मेट्रो में घूमना पसंद करूंगा और एक बार फिर तुम मूलचंद की बजाय जंगपुरा उतर जाना लेकिन इस बार मैं मेट्रो वाली आंटी की बात को नहीं मानूंगा ।
                                    - कमलेश

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