राहें, प्रेम और मैं


कुछ रास्ते आपको कभी मंज़िल तक नहीं ले जा पाते, ऐसे रास्ते सिर्फ भटकने के लिए बने होते हैं । जब ज़िंदगी का स्वाद थोड़ा भी ऊपर नीचे लगने लगे तो उसमें प्रेम का तड़का मारना आवश्यक हो जाता है । प्रेम का कोई रास्ता नहीं जो आपको मंज़िल तक ले जाए, प्रेम तो कहता है कि जिस राह में मंज़िल मिले वो फिर रास्ता नहीं रहता । प्रेम आपको भटकना सिखाता है ताकि आप अपने "आप" को किसी झोले में रखकर सारे चश्मे उतारने के लिए अपने कदम बढ़ाएं और समभाव से चीज़ों को देख सकें । जिस रास्ते में हम सारी उम्मीदें छोड़कर भटकने लगते हैं और बस उसकी वर्तमान में दमकती खूबसूरती को सीने से लगाते रहें, तो वह भी निसंकोच होकर हमें हमारी ज़िन्दगी दे देता है । मैंने किसी रास्ते को चुनने की गलती कभी कर दी थी, और तब जाना कि हम तो किसी रास्ते को चुन ही नहीं सकते । ये रास्ते ही उन पर चलने वाले राहगीरों को चुनते हैं उनकी भटकने की ललक और पागलपन को देखकर । कुछ किस्से कहते हैं कि नज़रें रास्ते से प्यार कर बैठे तो लोग आगे नहीं बढ़ सकते, मुझे इस पंक्ति से कभी सहमत होने की नौबत ही नहीं आई । मैंने राहों से भरपूर इश्क़ किया अब राहें मुझे भी चाहने लगी है, जब भी पुकारती है मैं अपनी नींदे, काम और खुशियां छोड़ उनकी बाहों में अपनी ज़िन्दगी के कुछ खुशनुमा लम्हें संजोने निकल पड़ता हूं । राहों से दोस्ती कीजिए और देखिए ज़िंदगी किस क़दर आपको प्रेम और खुशियों के तोहफ़े देती है ।।
                                   - कमलेश

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