प्रेम की आवश्यकता
दो सितारों की गुफ्तुगू सा एक रिश्ता पल रहा है मेरी पलकों के नीचे, न कोई वादा, न कोई मंज़िल बस सफ़र में चल रहा है कब से; कभी कोई किताब पढ़ता हूँ तो उसमें भी इसी की कहानी होती है, सुनता हूँ गर’ किसी के किस्से उनमें भी यही झलकता है. खेतों में फसल को पानी देते हुए, जानवरों के लिए चारा लाते हुए, किसी के हक़ में आवाज़ उठाते हुए, किसी कविता को लिखते हुए, ज़िन्दगी के किस्सों को सुनाते हुए, बदलाव की प्रक्रिया को अंगीकार करते हुए, दुनिया की राहों में ख़ुद को ढूंढते हुए, मैं नहीं खोज पाया आज तक और कुछ हर दफ़ा एक जवाब क़दमों को आकर्षित करता है कि दुनिया, मुझे और इस रिश्ते को प्रेम के साथ रहकर जीने की आवश्यकता है. - कमलेश