खुशियों का रास्ता



खुशियों का रास्ता दिल की राहों से होकर जब घर की दहलीज़ पर पहुँच जाए तो लगता है कि ज़िन्दगी में ठहराव और प्रेम एक साथ जिया जा सकता है. वक़्त से कोई कितना कुछ माँगेगा जब वह अपने मूल्यों पर जीते हुए वे सारे सवाल और रिश्ते सुलझा ले जिनसे जीवन के रास्ते छाँव और सुकून से भर जाया करते हैं. मैं पिछले महीने दीवाली के लिए घर पर था और यह मेरी दिल्ली आने के बाद की सबसे लम्बी घर पर बिताई हुई छुट्टियाँ थीं। इस बार जब मैं घर पहुँचा
, तो कुछ ऐसा था जो मुझे हर क्षण कहता रहा कि यह समय ख़ास है और मैं इसे और अधिक सुंदर बना सकता हूँ वह भी मेरे प्रेम और समर्पण के तरीकों से. इस दफ़ा यह पहली बार हुआ कि मैंने अपने परिवार के लगभग सभी सदस्यों के साथ यादगार बातचीत की, चाहे फिर वह मेरी पापा के साथ हुई बातचीत हो या मम्मी या भईया-भाभी के साथ जीवन यात्रा के किस्से सुनना और सुनाने वाला समय. सब कुछ इतना सहज और सुन्दर था कि सिर्फ वक़्त के बहाव में पूर्णता के साथ संतुष्ट कर देने वाले स्तर तक स्थापित हो गया.
एक बात मैं जीवन के इस पड़ाव पर अपने प्रेम की ताकत के साथ स्वीकारना सीख गया हूँ कि एक समय ऐसा भी रहा है जीवन में जब मैं आज की तरह सहज नहीं था, लेकिन वक़्त के तरीकों ने मुझे उससे बाहर लाकर एक खुबसूरत दुनिया का हिस्सा बनाया और मैं शुक्रगुज़ार हूँ हर उस क्षण, व्यक्ति और भाव का जिनके सहचर्य और अस्तित्व ने मुझे वह बनाया जो मैं आज हूँ.
  

जब मैं दिल्ली आने के लिए घर से निकल रहा था तो घर पर अपनी छुट्टियों के दौरान मुझसे मिलने वाले किसी भी व्यक्ति को यह कह पाना या व्यक्त कर पाना कि हाँ, मैं अब वापस जा रहा हूँ मेरे लिए बहुत कठिन हो रहा था। मेरे लिए अपने घर पर और सारे लोगों से मिले विश्वास और प्रेम को स्वीकारना तो आसान था लेकिन उससे दूर होने की प्रक्रिया का हिस्सा होने की हिम्मत जुटाना वाकई मुश्किल था लेकिन मैं संतुष्ट हूँ कि ये भावनायें मेरे अंतस में उपजीं। विचारों और जीवन जीने की परिभाषाओं में असहमति होने के बावजूद जब आप घर पर इस माहौल में जी पाते हैं और जो महसूस करते हैं वह उन से व्यक्त भी कर पाते हैं तो मैं कहूँगा कि ख़ुशकिस्मती का कौनसा पहाड़ अब आप चढ़ना चाहते हैं! मैं उन सभी लोगों, भावों, रिश्तों और पलों के प्रति आभारी हूं जिनसे दूर होना या नजदीक होना लगभग एक समान सा है. उनका अस्तित्व और प्रेम मेरे साथ अनवरत है और मैं इसके लिए उनके साथ साथ ख़ुद को भी अपनी शुभकामनाएँ प्रेषित करता हूँ.


जीवन कितना खुबसूरत हो सकता है यह सवाल केवल सवाल बनाकर हम जीते रहें तो शायद कुछ समझ न आये लेकिन इसके जवाब को अपने जीने के तरीके से लिखने की एक प्रेमपूर्ण और ख़ुशनुमा कोशिश आपको अपनी ज़िन्दगी के बाकी सारे सवालों के जवाबों की राहों का पता बता सकती है.

प्रेम, आभार और शुभकामनाएँ
                                                                                                         -कमलेश

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