मुलाकातें, यात्रा और प्रेम




मुलाकातें हमेशा ही खूबसूरती की नींव रखती है. तकरीबन ३ सालों के बाद राहों ने मुझे इंदौर की गलियों से रूबरू करवाया और दिल की तमाम ख्वाहिशों का ज़खीरा अपने पूरेपन के एहसास में खोकर लौटा. पिछले ३ साल मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से काफी अहम और प्रेरणादायी रहे हैं, जितना कुछ इन वर्षों ने दिया है वह अमूल्य है. इन राहों के सफ़र में कुछ दोस्त अपनी राह पर चलकर इस खूबसुरत शहर आ चुके थे, जिनसे मिलने की फिराक़ में मैं यहाँ पहुँच गया. दोस्तों के साथ बैठकर अपने और उनके जीवन की यात्रा के बारे में जानना और उनके अंतर्मन को सुनना मेरे लिए एक नए आसमान के द्वार खोलने जैसा अनुभव रहा है. चाहे फिर रिंग रोड पर विवेक और गजेन्द्र के साथ काम और व्यक्तिगत जीवन की बाते हों या फिर उनके जीवन के ३ वर्षों में बीते हुए वसंत का किस्सा: गजेन्द्र और विवेक को ३ सालों के बाद मिलना और उनमें आये हुए बदलाव का साक्षी बनना मेरे लिए सौभाग्य से कम नहीं है. ऐसी मुलाक़ातें वक़्त को कीमती बनाती हैं. 
 नवोदय के साथी रहे शिवपाल, जितेन्द्र और ईश्वर के साथ का वक़्त अपनी अलग छाप रखता है और यह एहसास एक सुकून देता है कि साथी अपने दिल की आवाज़ को सुनना चाहता है, वह चाहता है कि भीड़ से निकलकर वह ख़ुद को ख़ुद से मिलने का एक मौका दे सके. सात साल साथ रहे साथियों के अनुभवों और सपनों को सुनना दिल की गहराइयों तक अपनी पैठ जमाता है और इस आस को पैदा करता है कि दुनिया ऐसे मित्रों की वजह से ही मैत्री को खोने से अभी बहुत, बहुत दूर है।                 



                         दिन के सर्वाधिघोर प्रेम से भरे क्षणों में जब मैं ऐसे व्यक्ति से मिलता हूँ जो अपनी मेहमाननवाज़ी से किसी को भी अभिभूत करने की क्षमता रखता है तो मैं प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करता हूँ कि इसके रहते मुझे ऐसे मित्र की प्राप्ति हुई. गरिमा से ६ महीने के बाद मिलकर उसके आतंरिक बदलाव की यात्रा और उसके बाद के अनुभवों को सुनना मेरे लिए एक सुखद याद है क्योंकि मेरे जेहन में उसके साथ जून में हुई पहली मुलाक़ात और उसके सवालों में छुपी उत्सुकता आज तक भी ताज़ी है. इन सारी मुलाक़ातों से इतर भी एक अन्तराल रहा जिसको जीकर घर-वापसी का अनुभव हो आया, मेरा गाँव मेरी दुनिया परिवार के 8 सदस्यों और ३ अन्य मित्रों के साथ एक छोटा सा मिलन समारोह और आपसी बातचीत ने उनसे थोड़ा और गहराई से जुड़ने का अवसर दिया. इंदौर में मेरा गाँव मेरी दुनिया के साथियों से मिलना और उनकी जीवन यात्राओं के अनुभव सुनना व्यक्तिगत रूप से मुझे काफी प्रभावित करता है कि किस तरह युवा मित्र अपने लिए एक ऐसे माहौल का निर्माण कर रहे हैं जहाँ एक दुसरे को सुना जाता है, एक दुसरे का परस्पर ख़याल रखते हुए एक-दूजे की यात्रा का भागीदार बना जाता है. युवा साथियों के सवालों को सुनना और उनके अंतर्मन के द्वन्द का पहलु जानना मुझे अपनी यात्रा में डटे रहने की ताक़त देता है. मैं आभारी उन सारे दोस्तों के प्रति जिन्होंने अपना कीमती वक़्त देकर सारे पलों को खूबसुरत बनाया.

       
दिन का अंत एक काफी गहन और प्रतीक्षारत मुलाक़ात के साथ हुआ. पियुष भाई के साथ काफी वक़्त से मैं बात नहीं कर पाया था लेकिन कल का दिन उस ख्वाहिश को भी पूरा करके ही खत्म हुआ. पियुष के साथ मेरा गाँव मेरी दुनिया और चाइल्ड-लाइन के काम करने के तरीकों और बदलाव की यात्रा के बारे में लम्बे वक़्त तक बातचीत हुई. पियुष इस वक़्त इंदौर स्कूल ऑफ़ सोशल वर्क में कार्यरत है, उनके साथ बैठकर उनके अनुभवों और बदलाव से जुड़े उनके विचारों से अवगत होना इस यात्रा का एक अलग हिस्सा कायम करता है. पियुष और मेरी मुलाक़ात में हमारी व्यक्तिगत यात्राओं की बातें और जीवन में चल रहे द्वन्द से रूबरू होना भी एक मज़ेदार पहलु रहा है. इस यात्रा ने मेरे प्रेम और विश्वास पर अड़े रहने के संकल्प को मजबूती प्रदान की है और समर्पण से उपजते इन सारे रिश्तों की जड़ों में अथाह प्रेम का पानी सींचा है. मैं वक़्त, राहों और सारे साथियों के प्रति आभारी हूँ कि उन्होंने अपने प्रेम और अपने ‘आप’ से मिलने का एक अवसर मुझे दिया.         

शुक्रिया इंदौर.


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