प्रेम और ख्वाहिशें
कौन
चाहता है कि
चाँद किसी रात आसमान छोड़ कर छुप जाए;
चाँद किसी रात आसमान छोड़ कर छुप जाए;
किसी
गहरी पहाड़ी के पीछे,
मैं
उसके बालों को देखता हूँ
तो
चाहता हूँ कि ये ख़्वाब सच हो.
दुनिया
में पल रहे सारे सवाल
इकठ्ठा
करके मैं,
उनको
उसकी हँसी सुनाना चाहता हूँ:
उसके
मुस्कुराने भर से
दिक्कतें
हल हो जाया करती हैं.
प्रेम में घूम रहे ब्रम्हांड के सारे ग्रह
एक दिन आकाशगंगा में
विलीन हो जाने का ख़्वाब देखते हैं,
प्रेम में घूम रहे ब्रम्हांड के सारे ग्रह
एक दिन आकाशगंगा में
विलीन हो जाने का ख़्वाब देखते हैं,
और
मैं चाहता हूँ
कि
निहारता रहूँ उसके चेहरे को
अपने
विघटन के आख़िरी क्षण तक,
लिख
दूँ उसके लबों पर एक कविता
प्रेम
की बूँद के खप जाने से पहले,
वक़्त को उसके लौटने तक
वक़्त को उसके लौटने तक
रखूँ
बगीचे के नए उगते गुलाब के नीचे,
सुना है वक़्त में अधूरी छुट गई ख्वाहिशें
नई ज़िन्दगी की शुरुआत बनकर लौटती हैं.
सुना है वक़्त में अधूरी छुट गई ख्वाहिशें
नई ज़िन्दगी की शुरुआत बनकर लौटती हैं.
- कमलेश
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें