तुम्हारा अस्तित्व



यह दुनिया छोटी लगने लगी है मुझको,
एक  शख्स पर इतना ठहर गया हूँ  मैं!
                                            - नागेश

इंतज़ार की परिभाषा को मैं, उसकी आँखों को देखने के बाद हाशिये पर रख देता हूँ। इतना बड़ा आसमान लेकिन फिर भी अपने आप तक पहुँचने के लिए उसके पास कोई तरीका नहीं है, मैं रख देता हूँ अपना सर उसके हाथों में और मिल जाता हूँ ख़ुद से उसके ज़रिये। वह ठहरती है दो पल के भ्रम में दो पहर तक तो ऐसा लगता है दिन को थोड़ा और बड़ा होना चाहिए। मैं जब भी उसके क़रीब होता हूँ मुझे यह दुनिया ऊन का गोला लगती है जिससे मेरी चाह है कि इसका स्वेटर बुनकर चाँद को ओढ़ाया जाए। एक ख़याल को जीते हुए इतना अरसा हो गया मुझे, आज जब उसे पीछे छोड़ा तो वह उसके बालों में लिपटे क्लिप तरह इतराता हुआ दौड़ पड़ा मेरी ओर। इतना दूर आ चूका हूँ चलते चलते कि अब लौटने के लिए मुझे पते की नहीं किसी के क़दमों के निशां की ज़रूरत है, वह भी छोड़ जाती है अपनी ख़ुशबू बजाय पैरों के निशां के।
                                                            अर्जुन ने गीता को युद्ध-भूमि में सुनकर वैराग्य पा लिया था, मैं उसके प्रेम की धरा पर पहुँचकर मोक्ष का सुख प्राप्त कर लेता हूँ। मैंने जब ज़िन्दगी को प्रेम सुनाया तो उसके चुम्बन की व्याख्या में ही सारे ग्रन्थ बह गये। सुुनो प्रिये, तुम्हारा नज़दीक होना मुझे सारे आसमानों से ज़मीन पर ले आता है, इन सारे क्षणों के बाद, मैं केवल इतना ही बयां कर पाता हूँ कि जो मैं नहीं कह पाया आज तक तुमसे, वही मेरा प्रेम बनकर इस ब्रम्हांड में हमेशा के लिए रहने वाला है। और, जो कुछ मैं तुम्हें दे पाया हूँ या पहुँचा पाया हूँ किसी माध्यम से तुम तक, उसका कोई अस्तित्व नहीं। तुम जानने की कोशिश मत करना इस प्रेम को, या मेरे इस अनकहे अस्तित्व को, मैं तो तुमसे केवल इतना चाहता हूँ कि तुम जीना वे सारे शब्द और भावनाएँ, जिनका स्वरुप और व्याख्या दोनों ही इस मर्यादा भरे ब्रह्माण्ड में संभव नहीं! उन्हेंं केवल तुम्हारे द्वारा ही उन बंदिशों से परे जाकर जिया जा सकेगा!
                                                 - कमलेश

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