आभार, ज़िन्दगी और मैं -



हम एक ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां हर कोई अपने जीवन में किसी न किसी चीज का पीछा कर रहा है। एक स्थान से दुसरे की ओर बढ़ने की इस यात्रा में हम अपनी भावनाओं, जरूरतों, लालच, आकांक्षाओं और अन्य कई चीजों के साथ काम करते हैं, जिसके परिणाम में हम आनंद, खुशी, तनाव, दुःख, दबाव, क्रोध, शांति, दोष, कृतज्ञता जैसी कई सारी भावनाओं को महसूस करते हैं। मैं कुछ साल पहले स्वामी विवेकानंद को पढ़ रहा था, उन्होंने अपने एक भाषण में कहीं उल्लेख किया था कि दोषारोपण का खेल खेलने के बजाय हम एक बार ठहर कर यह देख सकते हैं कि हमारे भीतर से निकलने वाली हर चीज का स्रोत क्या है! यह विचार मुझे बहुत ताकत देता रहा जब मैं अपनी सीमाओं को पार कर रहा था और लोगों की कहानियों के साथ अपने व्यक्तिगत विकास के लिए एक रास्ता खोज रहा था। दो साल पहले एक आवासीय कार्यक्रम के दौरान, मुझे आभार व्यक्त करने की ताकत का एहसास हुआ कि यह उस दुनिया में जादू कैसे पैदा कर सकता है जिससे हम जीना चाह रहे हैं!
                     डेढ़ साल से, मैं कृतज्ञता के कुछ छोटे छोटे अभ्यास कर रहा हूं, जिनसे मैं सड़कों पर चलते हुए, किताबें पढ़ते हुए और दोस्तों के साथ भोजन करते हुए परिचित हो पाया हूं। हाँ! मेरे लिए इसी तरह की घटनाओं से जीवन भर साथ रहने वाली सीख उपजी है। जब मैंने खुद को अधिक व्यापक करने और अपनी कमजोरियों को स्वीकारने के लिए ख़ुद को समय दिया तो मुझे यह ज्ञात हुआ कि इस भाव को स्वयं में रखने के लिए धैर्य और साहस की बहुत ज्यादा आवश्यकता है। मेरे सवालों का झोला आकार में बढ़ता जा रहा था क्योंकि मैं बहुत सारे सवालों के जवाब नहीं जान पा रहा था, लेकिन किसी ने मुझे सीखाया कि कैसे प्रश्नों को उनकी वास्तविकता के साथ जिया जा सकता है! मैं हर उस शख्स, पल और कण के लिए आभारी हूं जिन्होंने मुझे सिर्फ अपने होने भर से इतना कुछ सिखाया है।

जैसा कि मैंने आभार व्यक्त करते हुए अनुभव किया है कि जब आभार व्यक्त किया जा रहा है तो यह संबंध के और अधिक मजबूत और गहरा होने के लिए जगह का निर्माण करता है और उसे अधिक संवेदनशील और भरोसेमंद बनाने के लिए भी। जब हम इसे व्यक्त करते हैं तो यह विनम्र होने की भावना पैदा करता है और साथ ही हमें दृश्य के दूसरे पक्ष का सामना करने के लिए पर्याप्त साहसी होने में सक्षम बनाता है: जो कुछ भी हो सकता है। मैंने इसे एक अलग स्तर पर लोगों के साथ जुड़ने के तरीके के रूप में पाया क्योंकि यह मेरे सभी नकारात्मक पहलुओं को मिटाने में सक्षम रहा है। कृतज्ञता की अभिव्यक्ति ने मुझे खुशी, संतुष्टि और स्वयं के प्रति जुड़ाव की एक गहरी भावना दी है, जिसके माध्यम से मुझे मेरे उन पहलुओं के बारे में पता चला है जिन्हें इससे पहले मैं अनदेखा कर रहा था।


7 महीने पहले, मैंने उन सभी लोगों के लिए आभार व्यक्त करते हुए ख़त लिखना शुरू किया जो मेरे करीब हैं। मैं सुबह उठकर इस ख़त को लिखता था, समय के साथ मुझे यह एहसास हुआ कि मैं काफी हल्का महसूस कर रहा था जब मैं अपनी जीवन यात्रा में ऐसे लोगों से उपजे आभार के कारणों को स्वीकार कर रहा था और व्यक्त कर रहा था। जब मैं इन सभी लोगों को यह ख़त भेज रहा था, तब कुछ रिश्तों की मेरे जीवन में वापसी भी हुई और मैं एक ही समय में इन संबंधों में नयापन और पुरानापन जी रहा था।

मैंने उस अवधि में लगभग 70 आभार पत्र लिखे और मुझे यह लगा कि यदि मैं इसे जारी रखूंगा, तो शायद दिन कम हो सकते हैं, लेकिन जीवन में ऐसे लोगों की संख्या कम नहीं होगी जिन्हें मैं आभार व्यक्त करना चाहता हूँ। वक़्त के साथ बढ़ते अन्य काम और चीजों के कारण यह सिलसिला एक दिन रुक गया लेकिन हर दिन ख़त लिखने के इस समय ने मुझे मेरे बारे में बहुत सारी बातों से परिचित बना दिया। मुझे उन सभी लोगों के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करने से एक बात पता चली, जिन्होंने मुझे सीखाया, जो भी मेरे लिए वहाँ थे जब भी मैंने चाहा या जिन्होंने मुझे अपनी उपस्थिति से सुखद महसूस करवाया या जो भी मेरी जीवन यात्रा का हिस्सा रहा है; कि जब मैं आभार व्यक्त करता हूं तो मैं हल्का, शांत, प्रेमपूर्ण, आशावान और सहज महसूस करता हूँ और ये सारी भावनायें मुझे ताकतवर ही बनाती है। ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने मुझे हर उस क्षण में जमीन पर वापस ला खड़ा किया जब भी मेरे पैर जमीन से दूर होते जा रहे थे, मैं उन सभी लोगों के लिए बहुत आभारी हूँ, जिन्होंने मुझे आभार व्यक्त करने की कला सिखाई है।

मुझे नहीं पता, इस दुनिया में इस प्रकार की चीजों के साथ क्या किया जा सकता है, लेकिन मुझे एक बात पर यकीन है कि ये चीज़ें दिन-ब-दिन मुझे ज़रूर बदल रही हैं और मैं कल की तुलना में और ज्यादा स्वतंत्र हो रहा हूँ। मेरे लिए जीवन एक उपहार की भांति खुला है जो चारों ओर के प्यारे लोगों के साथ और उनके आशीर्वाद से भरा हुआ है। मुझे एक पंक्ति पढ़ना बहुत पसंद है जो इस प्रकार है कि: जब भी आप यह जानने में असमर्थ होते हैं कि क्या हो रहा है तो इसे देखने का तरीका बदल दें। लोग जन्म लेते हैं, लोग अपना जीवन जीते हैं और लोग मर जाते हैं लेकिन कई सालों से जो कुछ यहाँ छोड़ा जा रहा है: वह उनकी कहानियाँ हैं। मैं भी जल्द ही अपनी भौतिक सीमाओं को तोड़ने के लिए, इस ब्रह्मांड में विलीन हो जाउँगा, लेकिन मुझे नहीं पता कि आने वाले वर्षों के लिए मेरी विरासत क्या होगी! मुझे जीवन नाम की इस प्रक्रिया के माध्यम से केवल तीन शब्दों का उनके पूर्ण रूप में अर्थ पता चल पाया है वे शब्द हैं प्रेम, विश्वास और समर्पण. मैं इस यात्रा के लिए मेरा सहयोग करने और मुझे इसके लिए तैयार करने के लिए पूरे ब्रह्मांड का आभारी हूँ! और आप जो इस समय इसे पढ़ रहे हैं, जाइये और अपनी कहानी अपने अनुसार लिखिए, मेरी कहानी में शायद आपको बताने या सीखाने के लिए कुछ भी नहीं है. मैं तो केवल इतना जानता हूँ कि यही ज़िन्दगी है!

प्रेम, आभार और शुभकामनाएँ


                                                                                                                               - कमलेश 

टिप्पणियाँ

  1. आ‌भार व्यक्त करने में एक अलग ही खुशी मिलती है। ‌‌‌इन विचारों को बखूबी अपने लेखन द्वारा उभार कर आपने मुझे आभार के मूल्य का अहसास कराया है।इसके लिए मैं आपकी आभारी हूं

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  2. हम मनुष्य इस संसार में जन्म लेते हैं। जन्म लेने के पूर्व हमें पूछा नहीं जाता के क्या हम जन्म लेना चाहते हैं कि नहीं। हम इस संसार में बिना कुछ जाने आतें हैं और यहां आ कर पता चलता है कि सभी एक दौड़ में भाग रहे हैं जिसकी ना तो कोई दिशा है और ना ही कोई अंत। हमें यहां आ कर एक तड़प का आभास होता है, जिसे दूर करने के लिए और अपने अस्तित्व को अर्थ देने के लिए विभिन्न माध्यमों का सहारा लेते हैं। फिर एक दिन आता है जब हम ना जाने कहां चले जाते हैं, पर पीछे छोड़ जाते हैं एक विरासत। सम्भवतः यही जीवन है।

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