कुछ बातें और
बहुत मुश्किल होता है चंद घड़ियाँ साथ बिताकर सारी यादों को सुनहरा कर लेना, आधा वक़्त तेरी सूरत को निहारने, लटों को गालों से परे हटाने हाथों पर हाथों से कुछ भी लिखने, और पैरों के अंगूठों की झूठी लड़ाई में गुज़र जाता है हमारा । गरियाने के लिए बातों का गठ्ठर, एक दिन पहले वाली फ़ोन कॉल पर होता है बस, जो मिलने आते-आते कहीं खो जाता है, और बचती है केवल खामोशियाँ । सारी निजताओं को अचानक से परे फ़ेंक, जब लिपट जाया करते हैं एक-दूजे से हम, उन नज़दीकियों में जहां केवल हम होते हैं, तब ये महसूस होता है कि इनसे बढ़कर कुछ नहीं । Source - Flickr कुछ वायदे और आरज़ू कुछ आश्वासन और बेमतलब के झगड़े, जब बिखरने लगते हैं हमारे इर्द-गिर्द तो कोशिश यही होती है कि इन्हें जल्द समेट लिया जाए, ताकि हम लौट सकें अपनी पूरानी दुनिया में पहले की तरह, लेकिन इन यादों के साथ जीने के लिए अगली मुलाक़ात के इंतज़ार में । ...