कर्नाटक एक्सप्रेस -

Source - theswaddle.com


कई बार किसी से मिलकर ऐसा लगता है कि उससे पहले कहीं मिला जा चूका है लेकिन उसकी याद ताज़ा नहीं हो पाती. ज़िन्दगी ऐसे अनगिनत चेहरे भेजती है जिन्हें हम भूलचूक में पहचानने की कोशिशें करते हैं लेकिन सब कुछ व्यर्थ ही होता है. ऐसे ही किसी एक दिन मैं उससे मिला था उसका नाम तो मुझे याद नहीं उसकी प्रेमिका का नाम मुझे याद रह गया. ऐसा माना जाता है कि हम इंसानों को जानकारी और नामों से ज्यादा कहानियाँ याद रहती है और मेरे साथ भी यही हुआ था. मन्दाकिनी, कितना प्यारा नाम है! ऐसा लगता है कोई उत्तराखंड के पहाड़ों पर बैठा पुकार रहा है. यही नाम था उस लड़की का, जिस लड़के की वह प्रेमिका थी. मैं उससे एक रात कर्नाटक एक्सप्रेस में सफ़र करते हुए मिला था. वह लड़का किताबों का शौकीन है और उसे इस बात का नशा है कि ज़िन्दगी एक हसीं ख़्वाब है जिसे देखने के लिए छककर सोया जाना ज़रूरी है और उठकर ख़्वाब की हक़ीकत के लिए मेहनत करना भी. मैं नहीं जानता कि वो कहाँ जाना चाहता है अपनी ज़िन्दगी में लेकिन उसने बताया था कि कुछ सालों के बाद उसे अपनी प्रेमिका से शादी करनी है. जब मैंने यह सुना था तब मैंने उसकी हिम्मत की दाद दी थी यह सोचकर कि उसे अपने रास्तों के बारे में कितने अच्छे से पता था. उसने मुझे यह भी बताया था कि किताबों के अलावा उसे नए गाँव और नई जगहें घूमना भी बहुत भाता है. 

मेरे पास एक वोडका की बड़ी वाली बोतल रखी थी जिसे मैंने उसके साथ बाँटने का प्रस्ताव रखा. यात्रा कुछ 36 घंटे की होने वाली थी और मैं नहीं चाहता था कि मैं इतने ख़ूबसूरत सफ़र में वोडका को उसका हक़ भी अनुभव न करने दूँ. रात के १ बज रहे थे जब ट्रैन ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर रुकी. मैंने उसकी सीट की ओर नज़रें घुमाई तो वह वहाँ नहीं था और जब लौटा तो उसके हाथ में नमकीन और 2 पानी की बोतलें थी. उसने कहा यार सूखे सूखे वोडका का मज़ा नहीं आएगा. हमने पीना शुरु किया और साथ साथ शुरु हुई किस्से-कहानियों की ज़िंदगियाँ. ऐसा है कि किस्से जब तक सुनाये न जाएँ वे अजन्मे रहते हैं और सुनाते साथ ही मर जाते हैं. मैं उसे शुरुआत में अपने बारे में बताता रहा कि मैं फलां फलां कॉलेज में पढ़ता हूँ और फलां फलां मेरे शौक है और मैं बैंगलोर कुछ काम से जा रहा हूँ. मुझे सफ़र में अजनबियों से सच बोलने में कभी डर नहीं लगा क्योंकि मुझे लगता है जो साथ है उसके लिए मैं भी तो अजनबी हूँ क्या हो जाएगा बहुत से बहुत! वह लूट के या मार के जाएगा और क्या? उसने भी मुझे बताया कि कैसे स्कूल के टाइम से वह और उसकी प्रेमिका साथ हैं और वह अलग अलग जगहें घूमता रहता है और नए नए काम करता रहता है; ये उसका काम ही है जो उसे इतना आज़ाद और आवारा होने देता है. उसने यहाँ तक भी बताया कि कैसे उसकी कुछ और प्रेमिकाएं भी रह चुकी हैं और फिर भी उसे सेक्स की कमी खलती है जिसे पूरा करने के लिए वह हस्तमैथुन का सहारा लेता है उसके हिसाब से इसमें कोई बुराई नहीं है. उसने मुझे बताया कि उसे कोई प्रॉब्लम नहीं अगर उसकी ज़िन्दगी पर किताब लिखी जाए! 

उसका ऐसा मानना है कि ज़िन्दगी का सच सामने आना समाज के लिए एक आईना है: जिसे देखकर समाज, दिखाने वालों के कपड़े फाड़ सकता है, ख़ुद को कमरे में बंद कर सकता है और हो सकता है कि आईना भी तोड़ दे! उसे सुनकर मुझे लगा जैसे कि वह कोई ख़ूब ज्यादा अनुभवी शख्स़ है जिसकी उम्र आप उसे देखकर बहुत आसानी से जान सकते हैं और तब आप उसे अनुभवी मानने से मुकर भी जायेंगे ये मेरा दावा है. उसके जैसे कई लोग इस दुनिया में घूम रहे हैं जिनके सच की थोड़ी सी भी झलक अगर आपके नक्काशीदार जीवन में आई कि आपका तमाम साजोसामान डोल जाएगा. उसने मुझे लगभग आधी वोडका पी जाने तक जगाये रखा और अपनी बात कहता रहा कि कैसे उसने अपने घर से तमाम रिश्तों के कायदों को तोड़ना शुरु किया, कैसे उसने 14 साल की उम्र में अपनी जिज्ञासाएँ शांत करने के लिए एक कजिन को राज़ी किया. उसने मुझे बताया कि कैसे उसके जैसे लोग जानकारी के बिना गर्त में चले जाते हैं जिनको रोकने का उपाय ये सारी दुनिया जानते हुए भी नहीं करती. 

उसने अपने जीवन के २६ सालों में ही सब कुछ देख लिया था ऐसा उसका मानना था. अपने प्रियजनों के उसके हाथ में दम तोड़ने से लेकर, उसकी एक प्रेमिका के सब कुछ जानकर भी उसके बच्चे की माँ बनने तक. ज़िन्दगी ने उसे हर उस मोड़ पर खड़ा किया जहाँ से वह कूद कर अपनी जान दे सके लेकिन उसने हर दफ़ा उस उंचाई को मात ही दी. उस यात्रा के बाद आज इतना वक़्त हो गया मैं अक्सर उसे याद करता हूँ कि क्या उसने अपनी प्रेमिका से शादी की होगी? क्या उसने अपनी प्रेमिका को शादी के पहले की तमाम बातों को बताया होगा या आईना देखने से डर गया होगा? क्या अब भी वह उतनी ही बेबाकी से सेक्स, हस्तमैथुन, शराब और सच दिखाने की बातें कर रहा होगा? अगर कर रहा होगा तो यह संवेदनाहीन असहिष्णु समाज उसे कितने दिन और जीने देगा?

- कमलेश

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