कल
Source - Youngisthan.In बीते लम्हो का गट्ठर है ये आने वाले समय की उम्मीद भी इक अल्फाज ही नही है केवल अपनी ही बनाई पहेली है 'कल'। समेटे होता है कभी बुरी यादें सहेजता है खुबसूरत बात भी एहसास हमेशा ही दिलाता है कौन किस राह से गुजरा है गलतियो का सबक है शायद आपका एक अनुभव भी है 'कल'। उम्मीदों का सागर सजाता है कभी तो कभी ना टूटने वाली आस भी कुछ करने की उम्मीद जुटाते है लोग इसके लिए सपने सजाते है इक हसीन सा लम्हा है शायद आने वाला हमसफर भी है 'कल'। ना जानता है कोई सुरत इसकी फिर भी इसे जीना चाहता है जिसका मनचाहा हो ना पाया था वो शख्स इसे भुलाना चाहता है सब कुछ होकर भी कुछ नही है आज के गुजरने पर ही आता है 'कल'। ...