इंतजार .... मेरा

   ये कहानी अपने ही देश के एक आम इंसान की है | एक गरीब परिवार में पैदा हुआ लड़का अपने  घर की ज़रूरतों को पूरा करने के साथ अपने लिए भी पैसे कमाता हुआ बड़ा होता है | उसकी ज़िन्दगी के दस साल यूँही गुजरते हैं,अपने
पैसों से किताबें खरीदकर वो कुछ न कुछ पढता रहता था | सौभाग्यवश उसकी मेहनत रंग लाती है और घर के उस बड़े बेटे का चयन भारतीय सेना में हो जाता है |
                   सेना में भर्ती के कुछ दिन बाद ही सीमा पर फायरिंग होती है और कुछ आतंकियों को मौत के घाट उतार वो बेटा देश के लिए शहीद हो जाता है |तब उसकी अंतरात्मा क्या कहती है कुछ पंक्तियों से वो बात आप तक पहुँचाने
की कोशिश की है |




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वो गाँव का बड़ा चबूतरा,
वो गेहूं के लहलहाते खेत,
वो पुराना सरकारी स्कूल,
अब भी मेरा इंतज़ार कर रहा है |


वो संकरी सी तंग गलियां,
वो कोने वाला हैंडपंप,
वो चौपाल पर बैठी मंडली,
सभी मेरा इंतज़ार कर रहे हैं |


वो बुढा पीपल का पेड़,
वो बाड़े में बंधे जानवर,
वो सूखे भूसे का ढेर,
अब भी मेरा इंतज़ार करता है |


वो नुक्कड़ वाला जर्जर घर,
वो नीम के निचे रखी खाट,
वो बरामदे में कड़ी साइकिल,
आज भी मेरा इंतज़ार कर रही है |


वो रोटियां सेकती मेरी माँ,
वो हल चलाते मेरे पिता,
मुझसे मिलने को बैठा वो भाई,
सब मेरा इंतज़ार ही तो कर रहे हैं |

                              .....कमलेश.....

                                    

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