धरा की आवाज
आज इस 4G के युग में हम लोगो ने इस धरती को इतनी बुरी तरीके से तबाह कर दिया है की आने वाले कुछ दशकों में इस धरती से इंसान का वजूद ही ख़त्म हो जायेगा | इस असहनीय पीड़ा को सहते हुए जब इस धरती माँ का दिल दर्द से तड़प उठता है तब वो हम सब से क्या कहती है पढ़िए निचे की कुछ पंक्तियों में ....
काश तुम कुछ समझ पाते |
Source - Veterans Today |
मेरा सीना चीर कर प्यास बुझाते हो,
मेरी बांहे काट कर घरोंदे बनाते हो,
क्या होता है वो दर्द
काश तुम कुछ समझ पाते |
खोखला बना दिया है मेरी रूह को,
दिनोंदिन तुम्हारी इन लालसाओं ने,
क्या होता है वो खालीपनकाश तुम कुछ समझ पाते |
मेरे चेहरे को धुंए से ढक दिया,
जिस्म को रसायनों से जला दिया,
क्या होती है वो पीड़ा
काश तुम कुछ समझ पाते |
रंग ही फैला था मुझ पर प्रेम का,
नफरत से तुमने उसे लहू किया है,
क्या होती है ये मोहब्बत
काश तुम कुछ समझ पाते |
मेरा आसमां भी काला पड़ गया है,
जो कभी मेरा आईना हुआ करता था,
क्या होता है वो अपनापन
काश तुम कुछ समझ पाते |
तुम्हारी ज़रूरतों को पूरा करते हुए,
एक दिन मैं भी समाप्त हो जाउंगी,
क्या होती है ये मौत
काश तुम कुछ समझ पाते |
.....कमलेश.....
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