शेर - ओ'- शायरी
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* अपनी नजदीकियों का सोमरस घोल दे मुझमें,
के अब दूरियों का हलाहल पिया नहीं जाता |
* बनाकर चश्मे के लेन्स को दिवार घूमता हूँ,
डर है लोग आँखों में तेरी सूरत न देख ले |
* उन हजारो ख्वाहिशों का गुनेहगार हूँ मैं,
जिनका क़त्ल तेरी गैरमौजूदगी में किया है |
*. जिंदगी में रोशनी के लिए उजाले की ज़रुरत नही,
अपने प्रेम का दिया जला दो इतना ही काफी है |
* दर्द बढाने की चाहत है मेरी,
इस उम्मीद में की दर्द कम हो जाये |
* बातो से बातो की बात करते हुए,
कुछ बातचीत अधूरी रहे तो अच्छा है |
* जो मेरी राहो में कांटे बिछाने का शौक रखते है,
दुआ करता हूँ उनकी राहो में फूलो की बारिश हो |
* एहसास होने लगा है मुझको एक नया,
के तू मेरी याद में पलकें भिगोने लगी है |
* तुम पर चार मिसरें लिखना थी मुझे,
ये ग़ालिब की नज़्म पड़कर याद आया |
.....कमलेश.....
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