मेरा इश्क
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काली घटाओं सी तेरी जुल्फें
जब हवा के संग लहराती है,
ऐसा लगता है मानो के
कुछ पल में बारिश होने वाली है |
तेरी आँखे लगती है झील सी
जहां आशिक़ी के ख्वाब तेर रहे हैं,
मुस्कान अधरों पर ऐसे छाती है
जैसे सूर्योदय के वक़्त की लालिमा |
झुका लेती हो गर्दन जब शरमा के
प्रेम के दिए जल उठते हैं,
बाहें फैलाकर करती हो आलिंगन जब
मेरा हर अंग तुझमें बिखर जाता है |
सोचता हूँ कर के कैद उस पल को
हासिल कर लूं तेरी बेशुमार मोहब्बत |
तेरे कदम इस तरह चलते हैं
जैसे उर्वर्शी धरा पर आई हो,
पदचिन्ह तुम्हारे जब देखता हूँ
लगता है लक्ष्मी वसुधा पर आई है |
समेट कर के तेरी इस काया को
नाम दे दिया है मोहब्बत मैंने ,
ठहरी है निगाहें और धड़कन
खुद को तेरे नाम कर दिया मैंने |
.....कमलेश.....
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