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ग़ज़ल

कोई लम्हा ठहरा नहीं जम के एक अरसे से यहाँ, आँखें बिछी हुई थीं कब से तुम्हारे इंतज़ार में यहाँ। तुम आये काली घटाओं के साये में मिलने मुझसे, बदलकर रख दिया तस्सवूर तुमने पल भर में ...

कविता २ (इंतज़ार)

छाई है ख़ामोशी इस कमरे में जहाँ तुम छोड़ गए अपनी अनुपस्थिति, मैं कर रहा हूँ अभी भी वो सारी बातें जो हो रही थी उपस्थितियों के क्षणों में; ढूँढ रहा है बिस्तर पर गिरा हुआ एक आँसू कि ...

कविता १ (मिलन)

कुछ इंतज़ार के लम्हें भटक रहे थे मेरे इर्द गिर्द, तुमने आकर उनको पूर्णता दे दी। मैं स्थिर हो चला हूँ अपने वक़्त में, तुमने अपनी उपस्थिति से मेरी स्थिरता को ठहराव दिया। हम नही...

वाकये, चुनाव और हम

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1. यह यमुना है, हाँ जी इस देश के 100 करोड़ से ज्यादा लोगों की यमुना मईया, जिसका पानी अभी ऐसी हालत में है जिसको पीना तो दूर छू लेने भर से आपको चर्म रोग और स्किन कैंसर जैसी बीमारी हो सकती है। एक तरफ हम इसकी माँ मानकर पूजा करते हैं और उसी पूजा के अंत में इसमें बेतहाशा कूड़ा करकट डाल देते हैं, तो जी यही है क्या शास्त्रों में पूजा का विधान?  भारतीयों के कर्मों और प्रकाण्डों ने जितना नुकसान प्राकृतिक संसाधनों को पहुँचाया है उतना बाकी चीजों ने नहीं। 2. हाल ही में दिल्ली में SEE के 3 दिवसीय लोकार्पण समारोह में पिछले 5 सालों से उसके लिए अथक प्रयास कर रहे दलाई लामा और उनकी टीम दिल्ली में थी, जिन्हें समारोह की समाप्ति के बाद प्रदूषण से उपजे संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। Source - Google 3. दिसम्बर में एक टीबी के मरीज़ को दिल्ली के एक नामी अस्पताल से डॉक्टरों ने 1 महीने तक जानबूझकर छुट्टी नहीं दी, क्योंकि डॉक्टरों का कहना था कि वह मरीज़ अगर अस्पताल से बाहर गया तो उसकी जान जाने का खतरा कई गुना बढ़ जाएगा, वजह दिल्ली का प्रदूषण। ऐसे अनगिनत वाकये हैं जिन्हें अगर हम देखें...

हमारा जीवन

वक़्त और मौत मेरे विश्वास, और तुम्हारे प्रेम को इतना कमज़ोर कभी भी नहीं बना सकते कि हम उठ न सकें, मुक्त न कर सकें किसी को उसके जीवन से, जीवन की मुक्ति केवल देह से रूठकर चले जाने म...

अभिव्यक्ति व्यर्थ है और व्यर्थ हैं परिभाषाएं सारी

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Source - Time.com कुछ रातें ज़िन्दगी का आईना सामने रखती हैं। जब मैंने तुम्हें देखा अपने क़रीब बैठे हुए तो मैंने जाना कि प्रेम सबसे ताकतवर और असरदार हथियार है किसी भी लम्हें में ख़ुद को जी लेने के लिए। तुम प्रेम हो यह बात मैंने तब जानी, जिस दिन तुमने मुझसे कहा था कि हमारा रिश्ता प्रेम की बुनियाद पर खड़ा है। तुम्हें रखना किसी दिन के आठों पहर अपने सामने और खो देना तुमको ठीक अगले ही दिन ख़ुद में से, यह और कुछ नहीं मेरे प्रेम में डूबने के मार्ग को आसान बनाता है। मैंने यही चाहा है हमेशा कि प्रेम में खोकर, सब कुछ ही खो दिया जाये, प्रेम को भी! लेकिन मैं नहीं जानता यह कथन कितना सत्य है! जब तुम बातें करती हो, कई नदियों, जंगलों, शहरों और पर्वतों के पार से, तो मुझे कालिदास की याद आ जाती है। तुम कालिदास के लिए सदैव अकल्पनीय ही रही, केवल मुझे ही अब तक तुम्हें प्रकति के प्रेम के ज़रिए ख़त लिख सकने का सुख प्राप्त है। तुम्हें ढूँढना उगते हुए सूरज में, मुझे पंछियों की चहचहाहट से दूर नहीं करता। किसी रेगिस्तान में मैं तुम्हारी ख़ुशबू के क़रीब चला आता हूँ उसकी रेत को अपने हाथों में थाम लेने भर से। कोई भ...

मैं वहीं हूँ

मैं वहीं हूँ, जहाँ लेते हो तुम साँस जहाँ उठकर देखी धूप तुमने, हूँ वहीं उस छुअन में मैं। जब जब चले तुम्हारे कदम धरा पर, तब तब पाया है मैंने अपने पैरों में धूल को चिपके हुए; हूँ वह...

ख़ताओं की पवित्रता

ख़तायें, कितना छोटा और पेचीदा है यह देखने और सोचने में, लेकिन मैंने कभी इतना ख़याल किया नहीं इस शब्द पर, शायद मैं ज़रूरतों को वक़्त देने में व्यस्त था जिसका परिणाम यह हुआ कि ज़िन्द...