अभिव्यक्ति व्यर्थ है और व्यर्थ हैं परिभाषाएं सारी

Source - Time.com

कुछ रातें ज़िन्दगी का आईना सामने रखती हैं। जब मैंने तुम्हें देखा अपने क़रीब बैठे हुए तो मैंने जाना कि प्रेम सबसे ताकतवर और असरदार हथियार है किसी भी लम्हें में ख़ुद को जी लेने के लिए। तुम प्रेम हो यह बात मैंने तब जानी, जिस दिन तुमने मुझसे कहा था कि हमारा रिश्ता प्रेम की बुनियाद पर खड़ा है। तुम्हें रखना किसी दिन के आठों पहर अपने सामने और खो देना तुमको ठीक अगले ही दिन ख़ुद में से, यह और कुछ नहीं मेरे प्रेम में डूबने के मार्ग को आसान बनाता है। मैंने यही चाहा है हमेशा कि प्रेम में खोकर, सब कुछ ही खो दिया जाये, प्रेम को भी! लेकिन मैं नहीं जानता यह कथन कितना सत्य है!

जब तुम बातें करती हो, कई नदियों, जंगलों, शहरों और पर्वतों के पार से, तो मुझे कालिदास की याद आ जाती है। तुम कालिदास के लिए सदैव अकल्पनीय ही रही, केवल मुझे ही अब तक तुम्हें प्रकति के प्रेम के ज़रिए ख़त लिख सकने का सुख प्राप्त है। तुम्हें ढूँढना उगते हुए सूरज में, मुझे पंछियों की चहचहाहट से दूर नहीं करता। किसी रेगिस्तान में मैं तुम्हारी ख़ुशबू के क़रीब चला आता हूँ उसकी रेत को अपने हाथों में थाम लेने भर से। कोई भी किस्सा जो बयां कर सके हमें, उसे कोई सोच नहीं पाया अभी तक भी, और हमने तो कभी कोशिश ही नहीं की इस तरह की, इसलिए मुझे उस रात तुमसे यह कहना तुम्हारी हकीक़त जितना ही सच लगा कि अभिव्यक्ति व्यर्थ है और व्यर्थ हैं परिभाषाएं सारी।

   मेरे इक्कीसवें साल पर तुम्हें देखना आईने में अपने अक़्स की जगह, कितना काल्पनिक और मिथ्या भरा लगता है यह सब कुछ सोचने में, लेकिन इस मिथ्या भरी हकीक़त का सच यही है कि कल्पना ही हकीक़त है। मेरा तुमको देखना किसी संचार माध्यम के ज़रिए और भिगो देना पलकें हमारी बातचीत के दौरान, मुझे मेरे बचपन की नादानियों के बाद सा सुकून पहुंचाता है। तुमसे साझा करना हर वह बात जो मैंने ख़ुद से शायद नहीं कही कभी भी, इस बात का सबूत है कि प्रेम में नज़दीकियों और दूरियों का एक समान स्थान है।

     जब तुम कहती हो कि मैं प्यासा हूँ, तो मुझे गुज़रे हुए कल से उपजी भविष्य की कई रातें दिखाई देने लगती है; ठीक वैसे ही जैसे आसमान में चाँद के बग़ल का तारा खोज लेने पर चाँद की परछाई दिखती है। तुम्हारा नाराज़ हो जाना मेरी किसी बात पर, मुझे इस बात का एहसास कराता है कि शिव ने इतनी आसानी से तो नहीं ही पी लिया होगा हलाहल! हलाहल पीने के लिए इंसान को मौत का इंतज़ार होना चाहिए ताकि वह ज़िन्दगी से प्रेम कर सके, वह जी सके बंधनों के इस संसार में, बंधनों से मुक्त होकर। तुम्हारी ज़िद और नादानियाँ, मुझे मेरी कहानियों और किस्सों के कई नए क़िरदार गढ़ने के प्रलोभन देती हैं, लेकिन मैं हमेशा से बचता आया हूँ और आगे भी बचता ही रहूँगा ताकि मुझे कोई ऐसी कहानी न लिखनी पड़े जिसमें मुझे तुमको लिखना हो।

मेरी ज़िंदगी का सबसे कठिन लम्हा वही होगा, जिसमें मुझे तुम्हें लिख देने और तुम्हें जी लेने में से, किसी एक को चुनना पड़े।
                            - कमलेश

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