किस्सा -२ -- बगावती जोड़ा




वह चौराहे से अभी अभी लौटा था और यह एक घंटे में दूसरी बार हुआ था, शायद उसे किसी का इंतज़ार था! उसकी आँखें किसी को खोज रही थी, किसे!  यह लेकिन वही जानता है और वैसे भी इस दुनिया में कौन किसे जान पाया है आज तक? वह कमरे में आया और उसने तकिये के क़रीब रखी किताब को फिर से पढ़ने में लग गया. किताब में सिर खपाते खपाते उसे झपकी लग गई. कुछ देर बार कोई उस कमरे में दाखिल हुआ और उसका नाम पुकारा. उसने अनमने मन से आँखें खोलीं और कमरे में आये शख्स को बिस्तर में खींचकर उससे लिपट गया. यह शायद उसकी प्रेमिका थी! वैसे  इस रिश्ते का कोई एक नाम तो है नहीं और  इन दोनों को समाज के बनाये कायदों से लड़ना ज्यादा पसंद है.
- कमलेश 

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