आजकल में


शिकायतों के चेहरे पर
एक नया नूर दिखने लगा है,
पिछले कुछ दिनों में उन्होंने
बगावत की सारी तैयारियां कर ली हैं ।

तुम चाहती हो कि शिकवे ना रहें
और मुझे इनकी बगावत में दिलचस्पी है,
बेहतर यही होगा के हम
इन्हें इनके हाल पर छोड़ कर
कुछ बातें कर लें,
क्योंकि बातें ही है जिनसे
शिकायतों में खौफ़ बना रहता है ।

तुम ढूंढ रही हो मुझे
उस गुज़रे हुए पल में,
मैं तुम्हारा इंतज़ार
आने वाले कल में करने लगा हूं,
क्यों ना हम ये दूरियां पाट कर
भूत और भविष्य को जोड़ दें।

शिकायतें
वो भूत है जिसका हम
सामना नहीं करना चाहते,
और भविष्य में वो सारी बातें है
जो शिकायतों से युद्ध में जीत जाएंगी।

आओ तुम और मैं,
भूत और भविष्य के
खेत में गड़े रहने के बजाय,
वर्तमान होती मेड़ पर बैठकर
बातों के  दराते से,
शिकायतों का चारा काट दें
किसी आजकल में ।
                       -- कमलेश

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