किसान

Source - IndiaTv

पहली बरसात में भीगी माटी
जान से भी ज्यादा प्यारी होती है उसे,
जब स्कूल से बेटी के लौटने पर
उसका माथा चूमता है वह,
वैसे ही चूम लेता है खेत को।
चाँद के ग़ुम हो जाने पर छाया सूनापन
उसके होंठो से दिखाई पड़ता है,
हर दफ़ा जब फैक्ट्रियाँ
उसके हिस्से की बारिश और सर्दी छीन लेती है,
वह चाहता है इतना कि
एक चादर में उसके दोनों बच्चे चैन से सो सकें।
परेशान जब हर तरफ से हो
वह निकलता है अपने हक़ के लिए,
बाज़ की तरह झपट पड़ते हैं
सारे ठेकेदार उस पर, शायद
वो नहीं जानते रोटी गेहूँ से बनती है;
उसने नहीं भरा धान ज़रुरत से ज्यादा
कभी भी अपनी कोठरी में,
नहीं बहाया पैसा कभी ही फिज़ूल।
एक मैना ढूंढ रही है वीराने में
अपने घोंसले के लिए एक पेड़,
वो ढूंढता है अपनी खोई आवाज़
जिससे उसे उम्मीद है कि वह
पेड़ के झूले की रस्सी को,
फंदे में बदलने से रोक लेगी।
                               - कमलेश

*जरूरी है कि अब हम अपने खाने के हर ग्रास को निगलने से पहले एक दफ़ा सोचें।*

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

गांव और देश का विकास

मुझे पसंद नहीं

सहमति और हम - भावनात्मक जीव