सुनो दोस्त!

मनु के लिए - (14-जुलाई-2019)

कुछ रिश्ते
नदी में बहते फूलों की तरहा होते हैं,
मैं बहकर आ गया तुम तक
ऐसी ही एक आनंदमयी लहर के साथ,
तुम्हें देखकर लगा नहीं मुझे
कि मिला हूँ तुमसे मैं सिर्फ कल,
ज़िन्दगी ने इतना अजनबी बना दिया है
कि हर चेहरा जान का टुकड़ा लगता है।

तुम्हारे साथ रहकर
मुझे महसूस हुआ कि
रिश्ते लिखते हैं ख़ुद की बुनियाद,
तुमने सिखाया
कि साथ रहकर चलना और साथ जीने में
कितनी सारी समानताएं और अंतर हैं।

तुम्हारा मिलना अच्छा है दोस्त
इस भीड़ भरी दुनिया में,
तुम आये तो लगा
कि बारिश अपने घर आ गई,
दो पल ठहरकर चले
तो आसमानों की परिभाषाऐं खुल गईं:

मैं रहूँगा वहीं
ज़िन्दगी के मोड़ पर खड़ा,
तुम देखोगे कभी भी मुड़कर 'गर
तो पाओगे एक हँसता सा चेहरा,
वादा तो नहीं कर पाया आज तक कोई
लेकिन इतना यक़ीन
तुम्हारे लिए ज़रूर है तुमसे,
कि मिलेंगे जब भी दूरियों के पार
तो गले लगकर सारी दूरियाँ दफ़न कर देंगे।
                                                    - कमलेश

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