प्रेम और करुणा... काफी है!



घुप्प अँधेरे से भरी दुनिया में,
हर कोई तलाश रहा है
एक टुकड़ा रोशनी;
जिसके सहारे उसे मिल सके
अपने खोए हुए जीवन का पता.

राहें खूँखार होती जा रही है,
पानी में ज़हर घोलने वालों की संख्या
बढ़ गई है चंद गुज़रे दिनों से:
और भी न जाने कितनी तरह से
मुश्किलों ने पाँव पसारे हैं यहाँ!

मैं इतना तो जानता हूँ लेकिन
कि मुझे कितने लम्हों में समेटना है
अपनी आँखों के आगे फैले हुए संसार को,
मुझे पता है यह भी कि
कितना भाव दूँ किसी की नफ़रत को
ताकि वह धरी की धरी रह जाए!

और ख़ास बात तो यह है कि
मुझसे कहा है किसी ने
कि ख़ुद से किया गया प्रेम
और सबके लिए उपजाई हुई करुणा
इस दुनिया की तमाम
मुश्किलों और हथियारों का सामना करने के लिए
ज़रूरत से बहुत ज्यादा काफी हैं.
-       कमलेश 


तस्वीर के लिए शुक्रिया विजय भईया

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