जब हमारे आसपास संकट हो तब जीवन कैसा दिखता है?

Source- globalsharingweek.org

हम अक्सर शिकायत करते हैं कि हम अपने करीबी लोगों और स्वयं के लिए समय नहीं दे पाने का कारण हमारे कामों की फ़ेहरिस्त का लम्बा होना है. लेकिन अब, हम अपने परिवार के साथ हैं, पक्षियों के चहचहाहट के साथ जागते हैं और ऑफिस के लिए तैयारी करने के जैसा कुछ भी नहीं है। इसके अलावा भी, समय पर घर लौटने, ट्रैफिक-जाम का सामना करने और परिवार के साथ समय बिताने के लिए चीजों को अलग रखने के लिए घबराने की ज़रूरत नहीं बची है। इन सभी गहरी इच्छाओं की पूर्ति का समय मिलने के बावजूद, आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि हम में से कई तनावग्रस्त हैं और इसे मैनेज करने के लिए काउंसलर तक खोज रहे हैं, लेकिन हम ऐसा क्यों कर रहे हैं? क्या जिस तरह से हम महसूस करते हैं, बोलते हैं और काम करते हैं उसके बीच एक बड़ा अंतर है?
    
हमने कभी नहीं सोचा था कि इस तरह का जीवन भी हमारे हिस्से में होगा। हम अपने माता-पिता, भाई-बहनों, बच्चों और परिवार के सदस्यों के साथ पूरे पूरे दिन और रात बिता रहे हैं और साथ ही घर से ही अपने काम को अच्छे से मैनेज भी कर रहे हैं। और साथ में दुनिया के हर कोने से आती नवीनतम जानकारी और डेटा के साथ लगातार खुद को अपडेट रख रहे हैं। हम संकट के इस समय में कमजोर लोगों के बारे में लगातार सोचते हुए अपनी जीवनशैली में बदलावों की प्रक्रिया से गुज़र रहे हैं. हम अपनी स्वच्छता और स्वास्थ्य की 24*7 जांच कर रहे हैं। हम अपने आप को प्रकृति और हमारे आसपास के अन्य प्राणियों के बारे में अधिक सोचने के लिए समय दे रहे हैं, अंततः हम 'अधिक मानवीय' हो रहे हैं, जिस तरह का जीवन हमने पिछले कुछ हफ्तों से जीना शुरु किया है।

यह समय प्रकृति की शक्ति को महसूस करने और उसके विराट स्वरुप को अनुभव करने के लिए सबसे उपयुक्त है, जिसने हमें याद दिलाया है कि हमारी पाली में सर्वश्रेष्ठ स्वास्थ्य तकनीकों, AI और बायोटेक जैसी तकनीकें होने के बावजूद, हमने खुद को बचाने के लिए बहुत कम काम किया है! जब वह (प्रकृति) अपने घावों को ठीक करती है वह भी अपने तरीकों से तब हम कितना कुछ कर सकते हैं हम जान चूके हैं. हमारे पास इस समय इस धरती पर अपने काम करने और रहने के तरीकों को और 'अधिक मानवीय' रूप देने का एक सुनहरा अवसर है, कि किस तरह से हम ऐसी तकनीकों को इजाद कर पाएं और उसके अगली पीढ़ी को सौंप सकें जिससे एक बेहतर "कल" का निर्माण किया जा सके! अब हमें किस बात का इंतज़ार है?

अपने घरोंदे से बाहर आइये, अपने आप से जुड़िये, और स्वयं, समाज तथा बदुनिया के साथ बेहतर संबंध बनाने की दिशा में कदम रखिये। 

कमलेश

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