भगवान् होने के लिए. . .
Source - How.fn |
कोई हलचल तो होगी
इस विरान बियाबान में,
कोई कोयल तो कूकेगी
जीवन के इस उपवन में,
उल्लास निरंतर आएगा
मायूसी समेटे आँगन में,
रोशनी का उत्सव होगा
अंधेरे पर श्री के बाद,
खुशी जन्म लेगी फिर
दुख के निर्वाण के लिए,
घर को त्याग कोई जाएगा
पिता की प्रतिष्ठा के लिए,
हलाहल का पान करेगा वो
समूचे जग के हित को,
राधा भी विरह में तड़पेगी
प्रेम की अमरता के लिए,
कोई अवतरित होगा यँहा
खुद भगवान् होने के लिए ।
इस विरान बियाबान में,
कोई कोयल तो कूकेगी
जीवन के इस उपवन में,
उल्लास निरंतर आएगा
मायूसी समेटे आँगन में,
रोशनी का उत्सव होगा
अंधेरे पर श्री के बाद,
खुशी जन्म लेगी फिर
दुख के निर्वाण के लिए,
घर को त्याग कोई जाएगा
पिता की प्रतिष्ठा के लिए,
हलाहल का पान करेगा वो
समूचे जग के हित को,
राधा भी विरह में तड़पेगी
प्रेम की अमरता के लिए,
कोई अवतरित होगा यँहा
खुद भगवान् होने के लिए ।
.....कमलेश.....
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें