वह
मैंने उसे सड़क के किनारे पर लगे जामुन के पेड़ के नीचे देखा, जब उस पर गाड़ी की हैडलाइट का हमला हुआ । वह हड़बड़ाई शायद वह खुद को दिखने नहीं देना चाहती होगी, लेकिन अगर ऐसा ही था तो वह पास बने मकान की दीवार की ओट में भी छुप सकती थी । नहीं, वह छुपना नहीं चाहती होगी वह तो केवल दिखना नहीं चाह रही थी, न दिखना छुपने से एक दम अलग होता है यह मैंने उसके न दिखने की कोशिश में छुपते हुए जाना । उसके हाथों की उंगलियों के बीच से मुझे धुआं उड़ता हुआ दिखाई पड़ा, तब मैंने उसे करीब से देखने की कोशिश में उसकी ओर कदम बढ़ाए, लेकिन मैं उसकी ओर आ रहा हूं इसका कोई प्रमाण उस तक पहुंचने नहीं दिया । मेरे वहां पहुंचते न पहुंचते अचानक से कई सारा धुआं उठा और मैंने उसे मेरी तरफ़ आते देखा, मैं उसकी ओर जा रहा था शायद इसलिए वह मुझको मेरी तरफ़ आते हुए दिखाई दी, अगर मैं उससे दूर जा रहा होता तो वह भी मुझे दूर जाते हुए दिखती । कुछ देर बाद जब मैं वहां पहुंचा जहां उस उठते धुएं की नींव बनकर वह थी तो केवल चुटकी भर राख़ और किसी को वहां न पाया, मैंने वहां धुआं देखा था इसलिए राख़ को पाया और उसके होने के स्थान पर उसके न होने को ।
- कमलेश
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