एक एहसास

बरसात के पहले और बाद
धूप का होना एक सा नहीं होता,
तेरा आना तेरी याद के बाद
और फिर से लौट जाना,
लेकिन एक सा ही लगता है ।

उड़ते रहना किसी पक्षी का
खुले आसमान में बादलों के बीच,
आज़ादी को परिभाषित करता है;
तेरा बैठना मेरे पहलू में
थामकर के मेरे हाथ को,
वैसा ही महसूस कराता है मुझे ।

किताबों में लिखना अपने नोट्स
या लिख देना कागज़ों पर कविताएं,
एक जैसा तो कतई नहीं है;
पर देखना तेरी तस्वीर अरसे के बाद
या रोज़ मुलाकातों का हिस्सा होना,
एक सा ही मालूम होता है मुझको ।

मैंने कोई वादा नहीं किया कभी
क्योंकि मैं नहीं जानता
उसे निभाने में कितना वक़्त लगेगा,
पर मैं यह जानता हूं कि
तुम्हें तुम्हारी याद से पहले,
मुझ तक पहुंच जाने में
कितना वक़्त लग सकता है ।
                                     - कमलेश

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