कार और चार सवारी

धान से घिरी हुई एक संकरी सी सड़क पर एक कार धीमे धीमे रेंग रही थी, शायद चालक रेंगना चाहता था या फिर उसके साथी इसलिए सब कार में बैठकर रेंग रहे थे, रेंगना धीमे चलने का पर्याय नहीं है, शहर की भागदौड़ भरी जिंदगी से कुछ दिन उधार लेकर, यह लोग जब गांव आते हैं तो वहां की भागदौड़ को याद करते हुए, उसका विरोध करने की कोशिश में रेंगना चाहते हैं ताकि किसी ठहराव का हिस्सा बन सकें। ठहराव कोई हकीक़त नहीं है, वह केवल कोरी कल्पना है, जिसे शहर की जेल से भागे कैदी गांव आकर जीना चाहते हैं। जब कार रेंगने से बदलकर चलने लगी तो ऐसा लगा जैसे किसी ने अचानक चल रहे शास्त्रीय संगीत को बदलकर रॉक बैंड बजाना शुरू कर दिया हो। अक्षय ने रास्ते को देखने के बावजूद उसे भूल जाने पर अफसोस जताने के बारे में सोचे बग़ैर बगल में बैठे केशव से रास्ता पूछा, या फिर केशव को साथ ही इसलिए लिया गया था कि वह कार को रास्ता बता सके, क्योंकि कार को रास्ता भूलने का अफसोस ज़रूर था। मेरठ हाईवे पर कार के दौड़ते हुए चढ़ जाने पर वेदांत ने चाहा कि कार की खिड़कियां बंद कर ली जाए, वह बाहर की दुनिया को अपनी दुनिया से एक कांच की मदद से अलग करना चाहता था, या कांच को दोनों दुनिया के बीच लाकर अपनी गलतियों पर पर्दा डालना, यह उस कार में सवार किसी भी यात्री को नहीं पता था। हल्के भूरे सांप जैसी सड़क पर बंद कांच के भीतर जैज़ म्यूजिक के साथ तालमैल बैठाती कार चालक को रास्ता बता रही थी, बाहर की दुनिया के लिए कार का होना कोई फ़र्क नहीं जता पा रहा था, या फिर कार उस दुनिया का हिस्सा ही नहीं थी।
          एक चौराहे पर जाकर कार ने ज़िद पकड़ ली कि वह अब आगे नहीं जाएगी, अक्षय के लाख समझाने के बाद भी वह नहीं मानी, तब सारे यात्री हताश होकर बाहर आ गए। कुछ देर आसपास की दुकानों को देखने का बहाना लेकर, ख़ुद के पैरों की एक्सरसाइज करते हुए, चारों वापस आ गए, आते हुए ही कार ने महसूस किया कि अब की बार एक व्यक्ति और बढ़ गया है। था तो वह पिछली बार भी बाक़ी तीनों के साथ ही लेकिन उसने ज्यादा बातें नहीं की इसलिए कार ने उससे उसका नाम पता पूछा ताकि कोई अजनबी उसमें न बैठ सके। अक्षय ने कार को धक्का देने से ज्यादा उसके बालों को पकड़कर उसे चलाना फायदेमंद समझा, कार अब दौड़ रही थी, मुग्धा से जैज़ म्यूजिक बंद करने का निवेदन केशव ने किया है ऐसा कार ने भी, और म्यूजिक प्लेयर ने भी सुना, निवेदन भावपूर्ण है यह जानकर मुग्धा प्लेयर बंद करती तब तक वह ख़ुद रुक गया। वेदांत ने अपने फोन में ज़रिया गाना बजाना शुरू किया, वैसे गाना फोन बजा रहा था या वेदांत इसका अंतर बताना मुश्किल है क्योंकि तभी स्वर सुनकर प्लेयर ने ख़ुद से भी वही संगीत बाहर भेजना चालू कर दिया। मुग्धा ने गाने की ओर अपना ध्यान केंद्रित रखने की बजाय, ख़ुद को गाने पर केन्द्रित कर दिया, चारों वापस आने वाले रास्ते पर चल नहीं रहे थे, कार में बैठकर वापस लौट रहे हैं ऐसा मान रहे थे। अक्षय ने भुट्टे के थैले के पास कार को रुकने के लिए कहा, भुट्टे वाला अक्षय की गुज़ारिश कार से पहले सुन चुका था इसलिए जब तक कार किए गए निवेदन की जांच कर पाती, भुट्टे वाले ने कार को रोक दिया, कार हड़बड़ी में दरवाजों को लॉक कर बैठी, तब मुग्धा ने कांच की दीवार को बग़ैर चोट किए हटा दिया और बाहर की दुनिया में चली गई, अब कार के लिए और बाक़ी तीन सवारियों के लिए वह अजनबी हो गई। लेकिन भुट्टे वाला उसके लिए परिचित हो गया था, अगर वह इस तरफ होती तो यही दृश्य उल्टा रहता कि कार और भुट्टे वाला अनजान होते और बाक़ी लोग परिचित ।
         मुग्धा अब तक वापस आने की कोशिश में कार को यह याद दिलाने की कोशिश कर रही थी कि वह उसे जानती है लेकिन कार नाराज़ बच्चे की तरह उससे दूर जाकर खड़ी हो गई, अक्षय ने उसे डांटा तो केशव और वेदांत हंस पड़े, इन दोनों के हंसने पर कार को लगा कि उसने कुछ ग़लत किया है तो उसने मुग्धा को आवाज़ दी कि वह यहां आ जाए। जब वह इसके पास आई तो अब बाक़ी तीनों ने कार को कहा कि वह तो मजाक कर रहे थे, कार फिर भुट्टे वाले के पास जाकर खड़ी हो गई। मुग्धा बाहर की दुनिया से है और अन्दर की दुनिया में आने के लिए उसे सारी पहचान उधर ही छोड़नी होगी जब यह तय हुआ तब ही उसने मुग्धा को अंदर आने दिया। कार फिर चल पड़ी लेकिन अब अक्षय की जगह वेदांत ने ले ली थी और कार को यह मालूम नहीं था, भुट्टे का स्वाद चखने के लालच में अक्षय केशव के स्थान पर और मुग्धा के स्थान पर केशव तथा वेदांत के जाने से खाली हुई जगह पर मुग्धा बैठ गई। जब फिर से कार छोटी सड़क पर पहुंची तो वह रेंगने लगी, कार रेंगते रेंगते रुक गई। चारों बाहर खड़े थे, तभी वेदांत को लगा कि उसे कोई 90 किलोमीटर दूर से आवाज़ लगा रहा है, अक्षय को लगा कि पास खड़े पेड़ पर भूत चिल्ला रहा है और केशव को कुछ सुनाई ही नहीं दिया, और रही मुग्धा की बात तो वह वहां थी ही नहीं। जब सबकी दुविधाओं का हल मिला तब तक वेदांत किसी से फोन पर बात करने चला गया था, अक्षय और केशव विनोद कुमार शुक्ल के किस्से की चर्चा में मशगूल थे और मुग्धा वापस आ गई थी। अक्षय केशव के सामने खड़ा तो था लेकिन वह मुग्धा के सामने खड़ा है ऐसा उसे लगा और मुग्धा ने अपने सामने के केशव को अक्षय समझ बातें करना शुरु कर दिया, जब तक वेदांत आया उसे लगा कि ये तीनों आपस में मिलकर एक व्यक्ति बन गए हैं और उन्हें अब अलग नहीं किया जा सकेगा। तभी कार ने धान के तीन खेतों के उस पार से कोई आवाज़ सुनी और चलने लगी। वेदांत, अक्षय, मुग्धा और केशव में अंतर ढूंढ नहीं पा रहा था, जब तक वह उस सुनी आवाज़ को सुन पाता वह तीन व्यक्तियों वाला इंसान गायब हो गया। अपने पास कार को न पाकर, कुछ देर पहले आई हुई आवाज़ को न सुन पाने की खीझ से भरा वेदांत भी सुनी हुई आवाज़ को नहीं सुनाई देगा ठानकर वहां से चला गया।
        कार अपने को घसीटती हुई, बाक़ी सबकी खोज में ख़ुद ही भटक चुकी थी लेकिन अब भी सड़क पर कुछ रेंग रहा था, वह कार की खाली जगह और उसमें बैठे हुए चार सवार थे, जो अब कार के लिए और एक दूसरे के लिए तो गुम हो गए थे लेकिन शहर से लौटने वालों का स्वागत करती उस सड़क के लिए अभी भी उसके पास थे, उतने ही पास जितने कि वह गुम हो जाने पर दूर चले गए थे।
                                                          - कमलेश

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