तेरा होना

जितनी बार में चला तन्हा
उन रास्तों पर जो तेरा पता बताते हैं,
तेरी खुशबुओं को वहाँ महकते पाया है;
ठहर के जहाँ
तूने कभी खनकाई थी अपनी हँसी
जम जाते हैं मेरे पाँव वहीं
जैसे तूने ठहरने के लिए कहा हो।

तेरे बिन सुना सा लगता है आँगन
मेरे आशियाने का,
जो तेरे होने से चहकता रहा है;
बिन किसी वादे के चल देना बनकर हमसफ़र
इतना आसान तो नहीं ही होता,
जितनी आसानी से तुझे पा गया था मैं।

हर वो चीज़ जो हमारे साथ रही
मुझे कारगर लगती है अब,
ख़ुद को समेटने के लिए;
इस दिवाली मैं
उन सब को कुमकुम लगाऊँगा।
                                        - कमलेश

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