खोज

कोई नहीं देख पाता सालों तक कि वह क्या ढूंढ रहा है, मैंने पाया तुम्हें तो जान पाया कि मैं तुम्हारी हकीक़त का पीछा कर रहा था। तुम दिखती हो बोधिवृक्ष सी जिसके तले पहुँचकर मैं बुद्घ सा वैराग नहीं, कृष्ण सी मुहब्बत चाहता हूँ। दुनिया ढूँढ रही है समस्याओं का हल क्रांतियों और आंदोलनों में, मुझे लेकिन तुम्हारे बगल में बैठकर सोचना कि प्रेम ही सारी बातों का समाधान है, अत्यधिक सुकूनदायक लगता है। मैं नहीं कहूँगा कि तुम प्रतीत होती हो किसी रिश्ते सी जो ज़िन्दगी को ख़ुशियों से भर दे, मैं नहीं बताउंगा किसी को भी तुम्हारा पता, क्योंकि मैंने उसे जानने की कोशिश नहीं की अब तक। मैं केवल तुम्हें पूरे रास्ते मेरे दाईं ओर चलते देखना चाहता हूँ, ताकि बिस्तर के कोने से खींचकर तुम्हें वर्तमान की क्रिया बनाकर रख सकूँ।
                      तुमने मुझे दिया अपना वक़्त तो मैं जान सका कि मैं कई बार कितने ही रिश्तों को वक़्त नहीं दे पाया। मैंने रखा अपना सिर तुम्हारी गोद में तो मुझे पता चला कि क्यूँ एक प्रेमी अपनी प्रेमिका में माँ तलाशने की गलती करता है। तुमने मेरे माथे को अपने हाथों में लेकर मुझसे जताया कि मैं पिछले 11 सालों से माँ को नहीं उसके मातृत्व को तलाश रहा था। तुमने बंद नहीं की कोई भी खिड़की जो हवा को अंदर आने से रोके और पकड़ ले मुझे बाहर जाने से पहले, मैं जितना चल पाया हूँ रिश्तों की सड़कों पर, तुम्हारे होने ने इस वाक्य को प्रमाणित किया है कि साधन नहीं साध्य ज्यादा बड़ी चीज़ है। मैं रुकूँगा वहीं, उस वक़्त की बालकनी में, जहाँ से मैं तुम्हें मुस्कुराता हुआ देख सकूँ, केवल वही रास्ता नहीं चुनूँगा जिसमें तुम मुझे अपनी माँ सी प्रतीत होती हो, किन्तु तुम्हारे वो सारे रास्ते खुले हैं जिनमें तुम अपनी आज़ादी देखती हो।
                                                      - कमलेश

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