संवाद – बात से साथ का सफ़र
इस दुनिया को कान की ज़रूरत
है
लेकिन हर कोई बस बोलना चाहता है...
यह
कथन दो तरीकों से किस तरह देखा जा सकता है, बस उस देखने के तरीके की प्रक्रिया का
नाम संवाद है. हर किसी के पास इतनी कहानियाँ है कि लिखते लिखते सारे पन्ने भरे जा
सकते हैं और हर कोई उतना ही उत्सुक और आतुर है कि किसी और की कहानी सुनने के लिए
उसके पास धैर्य नहीं है. ज़िन्दगी की राहों से पनपती कहानियाँ और उनसे जन्म लेते
हुए हर पल के किस्से और किस्सों से उपजा खालीपन, मानसिक असंतुलन इतना बढ़ जाता है
कि इंसान भूल जाता है उसे जीना किस तरह है!
संवाद की प्रक्रिया में ठहराव और स्थिरता
है ज़िन्दगी की रफ़्तार को समझने के लिए वक़्त प्रदान करती हुई. कानों और दिमाग को
कितने आराम की ज़रूरत है इस बात का ख़याल शायद उम्र भर किसी को नहीं आता क्योंकि हर
कोई, बस रोज़ भागने वाले हाथ और पैर को आराम देना चाहता है. संवाद की शुरुआत जिस
मौन के साथ हुई उसने मुझे इस बात का सन्देश दिया कि अभी मेरे पास काफी वक़्त है जो
मैं अपने सवालों के साथ बिता सकता हूँ और उनसे ज्यादा अच्छी तरह से वाकिफ़ हो सकता
हूँ. बढ़ते दबाव और तनाव के बीच भी ख़ुद के लिए समय निकालना कितना महत्त्वपूर्ण है
यह बात हर तरह से सार्थक हुई मेरे साथ, संवाद में बिताये हुए हर पल में.
मेरे अनुभव और मेरे लम्हें किसी और तक
कैसे पहुँचते है, इसकी यात्रा को क़रीब से देख पाना और दूसरों में पल रहे ‘मेरे
अक्स’ से वही सब कुछ मुझ तक इतनी खूबसूरती से पहुँच रहा है यह देखना, रिश्ते के बनने
की यह सबसे ख़ूबसूरत प्रक्रिया है सारी दुनिया में. विश्वास से उपजे हुए रिश्ते
अनुपस्थिति या उपस्थिति के मोहताज नहीं होते, लोगों के अनुभव और उनका प्रेम हर पल
में साथ रहकर काफी कुछ सिखाता है.
ख़ुद के अंतस में पनपते सवालों का स्वागत
कैसे किया जा सकता है, और साथ ही यह जानना कि मेरे सवाल का जवाब मेरे पास ही रखा
है, किसी और के द्वारा प्रस्तावित जवाब तो केवल इशारा है एक रास्ते की तरफ. मेरी
ज़रूरतों को पहचानना और उनको प्राथमिकता देना और उन्हें पूरा करने के तरीकों को बग़ैर
इंतज़ार किये ख़ुद ही ईजाद करना, यह मेरे द्वारा अनुभव किये गये पाठ का केन्द्र बिंदु
है जो मैंने संवाद में जाना और समझा है. बेशक मेरी मदद करने के लिए सब खड़े हैं
लेकिन जब तक मैं ही अपने लिए कोई चुनाव न करूँ, सारे सुझाव और लोग कोई अर्थ नहीं
रखते.
संवाद में एक सवाल सबके सामने रखा गया कि “ऐसा
क्या है जो आपको इंसान बनाता है?”, यह सवाल केवल उन 2 दिनों में 40 लोगों से नहीं
पूछा गया था शायद! अभी वक़्त है मेरे पास कि यह सवाल मेरे जवाब के साथ कितनी लम्बी
यात्रा करने वाला है इसका निर्णय मैं ही करूँ. बाकि हर वो शख्स जिसे लगता है कि
मानवता खतरे में है और हम आने वाले वक़्त में ज्यादा मुसीबतों का सामना कर रहे
होंगे, तो बस एक बार इस सवाल को ख़ुद से पूछें और रोज़ इसके जवाब के साथ आप जितना
सफ़र कर पाएंगे उतनी ही सम्भावनाएं और उम्मीदें आपके दिल में बढ़ती जायेंगी. यह काफी
अच्छा अनुभव है कि मुझे जो तत्व इंसान बनाता है, मैं उसके साथ अपने जीवन को बिता
रहा हूँ.
संवाद एक यात्रा है अपने कमजोर होते
धैर्य को एक नई मजबूती देते हुए, अपने दिलो-दिमाग को ख़ुद के साथ ही अन्य लोगों को
सुनने के लिए तैयार करने के लिए ताकि पल पल पर जो समस्याएं हमारे ध्यान न देने से
उपजती है वह हमारे धैर्य और ध्यान से सुलझ सकें. मैं शुक्रगुज़ार हूँ यूथ अलायन्स
परिवार का, जिन्होंने मुझे मौका दिया कि मैं इस ख़ूबसूरत यात्रा का हिस्सा बनकर, ये
सब कुछ अनुभव कर पाया.
प्रेम,
आभार और शुभकामनाएँ
- कमलेश
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