तुमने ( सियासतदार )

Source - Hindustan Times

फिर मुस्कराहट को खामोश कर दिया तुमने,
फिर एक दिये की लौ को बुझा दिया तुमने ।

अभी तो यह जहान् देख भी नहीं पाये थे वो,
जिनको इस जहान् से ही मिटा दिया तुमने ।

अपने गुनाहों को छुपाने की कोशिश में फिर,
किसी बेगुनाह की साँसो को काट दिया तुमने ।

शरम अब तो करो ए सियासत के पहरेदारों,
एक माँ की कोख को शमशान कर दिया तुमने ।

माँ है वो बद्दुआ तो कभी दे ही ना सकेगी,
भले ही उसके नाजुक दामन को नोच लिया तुमने ।
                                   .....कमलेश.....
  " श्रद्धांजलि "

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