मौसम


आज सुबह से बादल हैं
आसमां सांवला दिख रहा है
क्या यह मौसम है ?
नहीं नहीं
ये मौसम नहीं यह खिलवाड़ है,
खिलवाड़ है
मेरे अरमानों के साथ,
मेरी आंखों के
इंतज़ार के साथ ।

पलकें झुक रही है बार बार
इस ठंडी हवा से,
नहीं नहीं
ये ठंडी हवा नहीं प्रहार है,
प्रहार है
मेरी ख्वाहिशों पर
मेरे हाथों की उंगलियों पर,
जो इस मौसम का
वर्णन
करने की कोशिश कर रहे हैं ।

वर्णन !
नहीं नहीं
यह वर्णन नहीं हो सकता,
अगर मुझे इसे पढ़कर
तकलीफ़ होती है तो
यह वर्णन नहीं
क्रोध है,
अकेलेपन से उपजा
सन्नाटे में पलकर बड़ा हुआ,
यह क्रोध है मेरा
जो केवल
मौसम के लिए झलकता है ।
                             - कमलेश

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