चलना....
Source-GoogleWallpapers एक रास्ता दिखाई पड़ रहा है जिस पर सब चले जा रहे है, बिना कुछ सोचे बिना कुछ समझे या तो किसी की बात मानकर या फिर किसी और के देखादेखी अपनी कोई सुनता ही नहीं है | सिर झुकाकर चला जा रहा है, लगता है इंसान भेड़ बन गया है अपने ही जीवन को डुबो रहा है किसी आगे चलने वाले को देखकर, ना खुद की कोई मंजिल चुनी है ना ही अपना कोई सपना देखा है, चल देता है अनजानी राह पर किसी के भी हांक देने से, गुम कर दी है सारी ख्वाहिशें खुद का रास्ता बनाता ही नहीं | कभी कभी लगता है इन भेड़ो की तरह चलने वाले इंसानों को, रोका जाये या नहीं ? थोड़ा मुश्किल भी लगता है खुद को इस सब से अलग रखना लेकिन अलग होना अनिवार्य भी हो गया है | ...