इक किताब है तेरा इश्क



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मेरा ठहरा हुआ ख्वाब है शायद
अरसो है मुझमे आदत की तरह
पढ़ने पर जिसको मिल जाते जवाब
वैसी इक किताब है तेरा इश्क ।

जिक्र है जिसके हर पन्ने पर 
तेरी मेरी बेपनाह मोहब्बत का 
लिखावट में जिसके हर अल्फाज की
एहसास है तेरी खूबसूरती का
खुलने पर जिसके मुकम्मल होते ख्वाब 
वैसी इक किताब है तेरा इश्क । 

किस्से कहता रहता है जिसका अंश
तुम्हारी मेरी गहराती चाहत के
सपने दिखाते है जिसके लफ्ज 
अपनी खूबसूरत होती जिंदगी के
समझने पर जिसको महक जाते गुलाब
वैसी इक किताब है तेरा इश्क ।

गहरा है रंग इन अल्फाज़ो का
तेरी काली लहराती जुल्फें जैसे
महकती है जिसकी हर कहानी यूँ
छेड़ती हो मुझे तेरी खुशबू जैसे
घुलने पर जिसमे बहक जाता शबाब
वैसी इक किताब है तेरा इश्क ।                                           
                               .....कमलेश.....

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