मोहब्बत की राह पर चलते हुए



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इस बार की मुलाकात मे
खुल जाएगे वो सारे धागे
प्रीत के जो हमारे बीच
अब तक थे बंधे हुए,
तेरा दीदार होगा इस तरह
के भुलाकर हर लम्हे को
बिताएंगे सदियाँ हम दोनों
खामोशी भरे उन पलों मे ।
लफ़्ज़ों को इंकार कर देना
इस दफा आँखे बात करेगी
अधूरी रह गयी बातों को
अपनी धड़कने सुन लेगी,
झुकाकर के अपनी नज़र तुम
कर देना इकरार फिर से
अपनी गहराती चाहत का
जो बहुत समय से नही हुआ ।
तुमको अपने गले लगाकर
अपना हक अदा करूँगा
तुम्हारे ख्वाबों को सजाकर
तुमसे मोहब्बत भी करूँगा,
तुम्हारे दिल की मुंडेर पर
जब मेरे प्यार की कोयल
ऐसा कोई राग छेड़ देगी
तुम सारा जग भुला दोगी ।
मैं आऊंगा तुमको अपना बनाने
इस ज़ालिम ज़माने से जीतकर
अपनी मोहब्बत को पाने
सारी बन्दिशो को तोड़कर
दूर चले जायेंगे हम दोनों
मोहब्बत की राह पर चलते हुये ।

                                     .....कमलेश.....

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