प्रेम पंक्तिया


 उतारा है जब से किसी ने खंजर दिल में इश्क का, 

         तब से बदलकर मैं फूलों का गुलदस्ता हो गया हूँ ।

 अब और इंतजार नही कर पाता हूँ मैं,

          शायद तेरे आने का वक्त हो गया है ।

 अब और कोई नशा हो ना सके,

          के तुझ-सी मोहब्बत हो ना सके ।

 अकेला ही था मैं इतने अरसे से,

          ठहरा जो तुझपे तो मसला बन गया ।

 इस पार रहना मेरा मुनासिब रहेगा,

          उस ओर आया तो शोर हो जाएगा ।

 तेरे इश्क में हुई नासमझी ने,

          सारी जिंदगी कोे समझा दिया ।

 मत सोच मुझे इतनी गहराई से,
         के तुझे देखने की हसरत हो जाए:
         जमाना रह जाए इसी मोड़ पर,
          हमें फिर तुझसे मोहब्बत हो जाए ।

 मेरी तन्हाइयों को इस कदर मिटा दिया।                                        मेरी आँखो में अपना बसेरा बना लिया
          मोहब्बत ने तुम्हारी दिये नये मायने
          जोड़कर अपनी जिंदगी से जीना सीखा दिया ।

 हर पल तुझको जीना चाहते है
         तेरी सांसो में समाना चाहते है
          यूँ तो सारी रात है जागे रहते
          लेकिन तेरी बाँहो में सोना चाहते है ।
                                       .....कमलेश .....

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