क्या ........ वाकई जायज़ है ?



Source-India Today

आजकल बहुत सी खबरें हम पढ़ते हैं जैसे की एक सरफिरे के द्वारा लड़की की हत्या या फिर उस पर तेज़ाब उड़ेल दिया क्योंकि वो उससे शादी नहीं करना चाहती थी । सवाल यह है कि जब आप किसी से प्रेम करते है  तो उस शक्श पर इस तरह के नृशंस कृत्य करने की वजह क्या होनी चाहिए ? क्या सिर्फ इसलिए कि वो आप ही की तरह आपसे प्यार नही करना चाहता, क्या सिर्फ इतनी सी बात के लिए की वो अपनी दुनिया, अपने सपनो मे जीना चाहता है ।   
                    
           युगों-युगों से चली आ रही इस पवित्र प्रेम भावना को ,इस पवित्र एहसास को आज समाज के संकुचित सोच रखने वालो ने अपने कारनामों से कलंकित कर दिया है ।

                             प्रेम की इस राह मे  वैसे तो किसी भी शर्त का ज़िक्र नहीं है, तो फिर क्यों इन असामाजिक तत्वों को ये लगता है की अगर हम किसी से प्यार करते हैं तो वो भी हमें प्यार करेगा ही, ये बात तो गलत है कि आप प्रेम में रहकर शर्तें लागू करते है । इक खुबसूरत सी लाइन है इंग्लिश मे " देयर  इज नो रूल्स एंड रेगुलेशंस इन लव व्हेरेवेर इट इज, इट मीन्स इट्स अ डील नाॅट लव "। लेकिन ये लोग ना जाने किसी ज़ाहिल की कहावत पर गौर करते हैं जिसने ऐसे ही कह दिया था कि इश्क और जंग में सब कुछ जायज़ है। अरे अगर जायज़ है तो क्या आप लोगो पर तेजाब उड़ेल दोगे उनकी नृशंस तरीके से हत्या कर दोगे । हमारा इतिहास गवाह है जब भी किसी बाहरी शक्श ने इस तरह की हरकत की है हमारे देश के राजा या प्रजा ने किस तरह से उसको मात दी है,इसका  उदहारण है अल्लाउदीन खिलजी जिसने पद्मावती को हथियाने की नाकाम कोशिश की थी ।


Source-ScroopWhoop
         
    एक और दुविधा आजकल की सोच मे  पैदा हो गयी है, ये सोच द्वापरयुग के महान और अमर किरदार श्री कृष्ण के पदचिन्हो पर चलने की कोशिश करते है लेकिन कुछ बाते भुला देते है जैसे कि  उन्होंने कहा था " गुरु करे सो ना कर, गुरू कहे सो कर " ।इन  की बुद्धि गलत तरीके से काम करने लग गयी है, ये एक भ्रांति  लेकर बैठ गए है की कृष्ण गोपियों को छेड़ा करते थे तो हम कुछ ना कुछ तो कर ही सकते है । अरे जब वो ये सब लीलाएं करते थे तब उनकी उम्र बहुत ही छोटी थी ।अपने बचाव मे कुछ असामाजिक तत्त्व एक अजीब बात कहते दिखाई पड़ते हैं की भाई " वो करें तो रासलीला हम करे तो केरैक्टर ढीला" । 
              इतना ही इन्हें यह सब अपने प्रेम मे जायज लगता है तो फिर ये उस वक़्त क्यों हिंसक हो जाते है जब कोई इनके घर की स्त्री के साथ वही सुलूक करता है जो ये दरिंदे दुसरी औरतो पर करना चाहते है । अपने घर की इज़्ज़त इन्हें इज़्ज़त लगती है और गैरों के घर की इज़्ज़त को ये खेल समझते हैं क्या यही एक इनके घर में संस्कार है जो इन्हें दिए जाते है । हर बार दोषी औरत जात को ही ठहराया जाता है कि वह मर्दो को उकसाने के लिए  छोटे कपड़े न पहने अरे स्वर्ग की अप्सराएं भी तो छोटे वस्त्र धारण किया करती है वहाँ उन्हें तो बलात्कार  का शिकार नही होना पड़ता है, मानव जाति तो बिल्कुल गिर चुकी है उस गंदगी के दलदल मे जहाँ से मरणोपरांत ही बाहर आया जा सकता है । 
                
             हर शख्स यह बात याद रखे कि मोहब्बत मे आपके  द्वारा उठाया हुआ कोई भी कदम सिर्फ  तब तक ही ज़ायज़ है जब तक कि वो किसी के भी शरीरिक,आर्थिक या मानसिक नुकसान का कारण ना बनने पाए। 
       
         मुश्किल  प्रतीत होता है लेकिन इस कटु सत्य को मानना ही पड़ेगा तभी इंसान अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा हासिल कर पायेगा नहीं तोह उसे दरिन्दो की श्रेणी में ही गिना जायेगा।

                                             .....कमलेश.....

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