रोशन चेहरों की आँखों में
रोशन चेहरों की आँखों में भी, एक रात दिखाई देती है ।
इन सन्नाटों में भी अक्सर, मुझको आवाज सुनाई देती है ।।
हर खामी का ठीकरा तु, दूसरों के सर पर ही फोड़ता है ।
इल्जाम लगाने के तेरे अंदाज में, साजिश दिखाई देती है ।।
दर्द इतना गहरा हो चूका है, ज़माने की इन खरोंचों का ।
देख कर जख़्म लोगों के, बदलियाँ भी आँसू बहा देती है ।।
इतने ज्यादा आश्वासन और वादे, किसी की भूख मिटा भी दें ।
लेकिन बेमुरव्वत मुफ़लिसी, आखिर सर उठा ही लेती है ।।
तु कितने भी तरीके अपना, औ' प्रतिभावान को वंचित कर ।
कला है यह कलाकार की, अपने झंडे तो गाड़ ही देती है ।।
वक्त रहते भी अगर कोई, कुछ मसले हल ना कर पाए ।
तो आवेश में आकर खुद, किस्मत ही खेल बिगाड़ देती है ।।
.....कमलेश.....
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