आंखें

Source-GetDrawings.com


आंखें इस कुदरत का
सबसे करिश्माई तोहफ़ा है,
जिसने हमें दिमाग से आगे
और
पेट से बड़ी चीजें दिखाई है ।
आंखें विद्यमान है सर्वस्व
हमें ख़ूबसूरत बनाए रखने के लिए,
श्रृंगार का एक भी रस नहीं चूका
अब तक,
चाहे आंखें
पलकों के सख़्त पेहरे में क्यूं ना हो ।
भावनाओं के दोमुखी व्यवहार को
आंखों ने कभी नहीं स्वीकारा,
आंखें निश्चल दर्पण है
हमारी असीम भावनाओं का ।
तुमने कभी अपनी आंखें नहीं देखी,
मैंने सिवाय आंखों के कुछ नहीं देखा ।
                                          -- कमलेश

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

गांव और देश का विकास

मुझे पसंद नहीं

सहमति और हम - भावनात्मक जीव