अंतर और समानताएं
किन्हीं दो चीजों में अंतर का ना होना,
उनको कभी भी समान नहीं बना पाया ।
ठीक उसी प्रकार कि जैसे
किसी दो चीज़ों के समान होने पर भी,
उनमें खोज लिया गया कोई एक अंतर ।
इतनी अनेकताएं होने के बावजूद भी
प्रकृति के किसी भी जीव में मिली नहीं,
थोड़ी सी भी भिन्नताएं ।
इंसान केवल ढूंढ रहा है अंतर
और प्रकृति पैदा कर रही है,
उतनी ही अनवरत समानताएं ।
मुझमें और तुममें भी हैं दिखते
अनगिनत अंतर,
फिर भी झलकती है असीम समानताएं ।
बिलकुल एक-सी ही होती हैं
किसी भी जीव की दो आंखें,
शायद अभी तक किसी ने
ढूंढा नहीं उनमें कोई भी अंतर ।
-- कमलेश
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