ज़िन्दगी

वक़्त एक साधारण रेलगाड़ी है
जिसमें यात्रा का एक ही विकल्प होता है,
लेकिन आदमी बहुत डरा हुआ है
उसे यहां भी ज्यादा विकल्प चाहिए,
कम से कम तीन तो चाहता ही है ।

जिसे जीना है गुज़रे वक़्त में
चिपककर अपने कंफर्ट ज़ोन से,
वह आदमी हमेशा चाहता है टिकट
एसी क्लास का यानी कि अतीत,
इस वहम में उसने ये ख़रीद लिया कि
वो उसे बाक़ी दुनिया से परे रखने वाला है ।

कुछ लोग बहुत साहसी होते हैं
निर्भीक होकर लड़ते हैं
स्टेशन के टिकट काउंटर पर,
एक टिकट हथियाने के लिए
ताकि जा सके जनरल डिब्बे में,
किन्तु सारे लोग अंत तक वहां
कभी रह ही नहीं पाते क्योंकि
वर्तमान की खिड़कियों से,
ज़िन्दगी में झांकने के लिए
आदमी को प्रेम होना चाहिए,
जिसका मोल उसे
यात्रा समाप्त होने पर भी
पता नहीं चलता ।
वर्तमान की खिड़की और
प्रेम का साथ,
दोनों ज़रूरी है जनरल डिब्बे में ।

तीसरे विकल्प के इंतज़ार में
कुछ लोग अभी अभी,
काउंटर से एक घोषणा होने के बाद
निराश होकर के वापस चल दिए ;
शायद वो एसी से घबरा चुके थे,
और जनरल की हिम्मत नहीं थी
उन्हें चाहिए था स्लीपर का टिकट
ताकि गुज़र सके ज़िन्दगी सपनों में,
लेकिन भविष्य के लिए रेलगाड़ी में
किसी टिकट की व्यवस्था नहीं होती ।
और ज़िन्दगी ने अभी तक सभी को,
जनरल डिब्बा ही दिया है सफ़र के लिए ।
                                    -- कमलेश

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